खादी उद्योग के कैलेंडर में गांधी जी की जगह नरेंद्र मोदी की तस्‍वीर

खादी ग्रामोद्योग आयोग (केवीआइसी) की ओर से हर साल प्रकाशित होने वाले कैलेंडर और डायरी में इस साल बार आमूल-चूल बदलाव हुए हैं। खादी के पर्याय कहे जाने वाले बापू वर्ष 2017 के कैलेंडर और डायरी के कवर पर हमेशा की तरह इस बार नहीं दिख रहे हैं। इस साल उनकी जगह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ले ली है। डायरी के कवर और कैलेंडर पर खादी के कुर्ते में मोदी बापू की ही मुद्रा में चरखा कातते नजर आ रहे हैं।
हर कोई हो गया हैरान
खादी ग्रामोद्योग आयोग के आधिकारिक सूत्रों ने गुरुवार को बताया कि खादी ग्रामोद्योग के कर्मचारी और अधिकारी इस बदलाव से एकदम चकित हैं। गांधी जी के ‘क्लासिक पोज’ में मोदी को बड़े से चरखे पर खादी बुनते दिखाती कवर फोटो ने सबको हैरत में डाल दिया है। गोल ऐनक और सफेद धोती पहने गांधी जी की चरखा चलाती ऐतिहासिक फोटो पिछली कई पीढि़यों के जेहन पर अब तक अमिट छाप छोड़ चुकी है।
शुरु हुआ विरोध प्रदर्शन
लेकिन इस दफा पहली बार है कि मोदी अपने विशिष्ट पहचान वाले परिधान कुर्ता-पायजामा-जैकेट पहने थोड़े आधुनिक से चरखा चलाते नजर आ रहे हैं। इस बदलाव से हैरान-परेशान कर्मचारियों ने कैलेंडर और डायरी के लांच के समय मुंबई के विले-पार्ले स्थित मुख्यालय पर मुंह पर काली पट्टी बांधकर मौन-प्रदर्शन किया।
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मोदी कुर्ता हो सकती है बड़ी वजह
केवीआइसी के अध्यक्ष विनय कुमार सक्सेना ने कहा, ‘पूरा खादी उद्योग ही गांधी जी की विचारधारा पर केंद्रित है। वह केवीआइसी की आत्मा हैं। इसलिए उनकी अनदेखी करने का तो सवाल ही नहीं उठता।’ सक्सेना ने बताया कि मोदी बहुत लंबे समय से खादी पहनते आ रहे हैं। उन्होंने इसे जनमानस में तो ख्याति दिलाई ही है, विदेशियों के बीच भी इसे प्रसिद्ध कर दिया है। दरअसल वह खादी के सबसे बड़े ब्रांड एम्बेस्डर हैं। उल्लेखनीय है कि मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री रहने के समय से ही खादी की अपनी पोशाकों के लिए जाने जाते रहे हैं। आधी बाजू का आरामदेह रंगीन ‘मोदी कुर्ता’ खासकर युवाओं के बीच फैशन स्टेटमेंट बन चुका है।

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