चीन कर रहा है विमान वाहक पोत का निर्माण

दक्षिण चीन सागर पर अपने दावे को और मजबूत करने और इस क्षेत्र में अपने दखल को बढ़ाने के लिए चीन तीसरे विमान वाहक पोत का निर्माण कर रहा है। ग्लोबल टाइम्स की आज की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि इस आधुनिक विमान वाहक पोत का निर्माण शंघाई में किया जा रहा है और यह अमेरिकी मॉडल पर आधारित है। यह रिपोर्ट चीन के रक्षा मंत्रालय की ओर से जारी सूचनाओं पर आधारित है। चीन का पहला विमान वाहक पोत ‘लिओनिंग’ सोवियत संघ के जमाने का है, दूसरे पोत का निर्माण दालियान पोर्ट में किया जा रहा है जिसका मॉडल पहले पोत के ही समान है, हालांकि इसे पहले के मुकाबले अधिक आधुनिक बनाया जा रहा है और इसके 2020 तक काम शुरू कर देने की उम्मीद है। समाचारपत्र में नौसेना विशेषज्ञ ली जी के हवाले से कहा गया है कि तीसरा पोत 002 लिओनिंग (001) और (001ए) से एकदम भिन्न है और यह अमेरिकी विमान वाहक पोत की तरह दिखाई देगा। लड़ाकू विमान लान्च करने के लिए इसमें इलेक्ट्रोमैग्नेटिक कैटापुल्ट सिस्टम अथवा इलेक्ट्रोमैग्नेटिक लॉंचर का इस्तेमाल किया गया है।’’ पीएलए नेवी इक्युप्मेंट रिसर्च सेंटर में वरिष्ठ शोधकर्ता यिन झू के मुताबिक चीन के क्षेत्रीय तथा समुद्री हितों की रक्षा के लिए चीन को पश्चिम प्रशांत सागर में दो और हिंद महासागर में दो वाहक आक्रमण समूहों की आवश्यकता है, इसलिए हमें कम से कम पांच विमान वाहक पोत चाहिए। इस बीच पहले विमानवाहक पोत लिओनिग ने दक्षिण चीन सागर और ताइवान जलडमरूमध्य में कड़ा अभ्यास किया है। चीन की इन पोतों में लगाने के लिए जे-15 लड़ाकू विमान के निर्माण की भी योजना है।

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