टीपीपी से अमेरिका के बाहर निकलने से अमेरिका-कैनेडा व्यापार में पड़ सकता हैं असर

औटवा। अपना पहला वादा निभाते हुए अमेरिकी नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा टीपीपी से बाहर आने की घोषणा की गई। उनके अनुसार प्रशांतीय – पारीय भागीदारी से बाहर आने में ही अमेरिका की भलाई हैं, ट्रम्प ने माना कि वह चीन की भांति द्विपक्षीय व्यापार करके अमेरिका को उन्नति दिलवाएंगे।  इस फैसले को लेकर प्रधानमंत्री जस्टीन ट्रुडो ने अभी अपनी कोई टिप्पणी नहीं दी हैं। गौरतलब हैं कि ट्रम्प की नई नीतियों को लेकर विदेश मंत्री च्रीस्टीया फ्रीलैंड द्वारा  दो दिवसीय कैबीनेट रीट्रीट का आयोजन किया गया। कैनेडियन विशेषज्ञों के अनुसार कैनेडा को अभी टीपीपी पर कोई भी नई नीति के लिए विचार विमर्श करना चाहिए उसके पश्चात ही उसे कोई निर्णय लेना चाहिए। व्हाइट हाउस की ओर से यह घोषणा राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा प्रशांत पारीय भागीदारी टीपीपी से अमेरिका के हटने का ज्ञापन जारी करने के ठीक बाद की गई है। टीपीपी एक बहुपक्षीय समझौता है जिसमें अमेरिका और 11 अन्य देशों शामिल हैं।  व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव सीन स्पाइसेर ने कल अपने पहले संवाददाता सम्मेलन में कहा, जैसा की राष्ट्रपति ने कई बार कहा है, इस तरह के बहुपक्षीय समझौते हमारे हित में नहीं है। वह ऐसी व्यापार नीतियों की तरफ बढना चाहते हैं जिनसे कि अमेरिका कामगारों और विनिर्माताओं की प्रतिस्पर्धा बढ़े। उन्होंने कहा कि बड़े बड़े बहुराष्ट्रीय समझौते अमेरिका के हित में नहीं हैं। द्विपक्षीय समझौतों में सबसे बेहतर बात यह है कि समझौते में शामिल कोई भी पक्ष किसी भी समय उससे बाहर हो सकता है। उन्हें यदि लगता है कि उनके साथ ठीक नहीं हो रहा है तो वह आसानी से समझौते पर फिर से बात कर सकते हैं। जबकि बहुराष्ट्रीय समझौतों में ऐसा नहीं हो पाता है। कोई भी कदम उठाना हो अथवा किसी को समझौते से बाहर करना है तो उसमें शामिल सभी देशों की सहमति उस पर लेनी होती है। ऐसी स्थिति में अमेरिका के हितों को आगे नहीं रखा जा सकता है।
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