दक्षिण चीन सागर के विवाद का शांतिपूर्ण हल होः अमेरिका

निवर्तमान ओबामा प्रशासन ने दक्षिण चीन सागर क्षेत्र के भूभागीय विवादों के शांतिपूर्ण एवं राजनयिक समाधान का आह्वान किया है। व्हाइट हाउस के प्रेस सचिव जोश अर्नेस्ट ने अपने दैनिक संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘ओबामा प्रशासन में यह नीति रही है कि दक्षिण चीन सागर में दावा करने वाले किसी भी पक्ष की तरफदारी नहीं करनी है। निश्चित तौर पर अमेरिका विश्व के उस हिस्से के किसी भी क्षेत्र पर कोई दावा नहीं करता है।’’ अर्नेस्ट ने कहा, ‘‘हमारा सुझाव यह है कि इस पर जिनके दावे हैं, उन्हें अपने प्रतिद्वन्द्वी दावों का समाधान निर्दयतापूर्वक, धमकी से या दबाव से नहीं बल्कि कूटनीति और बातचीत के जरिए करना चाहिए।’’ व्हाइट हाउस के निवर्तमान प्रेस सचिव दरअसल चीन के सरकारी मीडिया की ओर से दी गई चेतावनी से जुड़े सवाल का जवाब दे रहे थे। चीनी मीडिया ने चेतावनी दी थी कि यदि उसे दक्षिण चीन सागर में बने कृत्रिम द्वीपों तक पहुंचने से रोका जाता है तो अमेरिका के साथ युद्ध की स्थिति पैदा हो सकती है। कृत्रिम द्वीपों तक चीन की पहुंच को रोकने की बात आगामी ट्रंप प्रशासन के मंत्रिमंडल के लिए नामित लोगों द्वारा कही गई है।

 अर्नेस्ट ने कहा, ‘‘मैं नहीं जानता कि यह आगामी प्रशासन की नीति होगी या नहीं। मुझे लगता है कि मेरे अनुवर्ती के साथ आपके पहले संवाददाता सम्मेलन में शामिल मुद्दों में यह भी एक मुद्दा होगा। लेकिन यह नीति मौजूदा प्रशासन में तो रही ही है।’’ व्हाइट हाउस के साथ-साथ पेंटागन ने भी दक्षिण चीन सागर में चल रहे विवादों के शांतिपूर्ण समाधान की अपील की। पेंटागन के प्रेस सचिव पीटर कुक ने संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘हम दशकों से दक्षिण चीन सागर और एशिया प्रशांत में काम करते आए हैं। हमारा लगातार यह मानना है कि दक्षिण चीन सागर के विवादों को वार्ता और कूटनीति के जरिए शांतिपूर्ण तरीके से सुलझाया जाना चाहिए।’’ उन्होंने कहा, ‘‘इस संदर्भ में अदालत की ओर से फैसले आ चुके हैं। निश्चित तौर पर हम इन्हें अहम मानते हैं और दावेदारों को इनका पालन करना चाहिए।’’ कुक ने कहा कि अमेरिका इन विवादों में किसी भी पक्ष की तरफदारी नहीं करता। उन्होंने कहा कि अमेरिकी रक्षामंत्री एश्टन कार्टर ने एक ऐसे सैद्धांतिक सुरक्षा तंत्र के बारे में विस्तार से बात की है, जो एशिया-प्रशांत में समावेशी है और चीन को शामिल करने के लिए भी समावेशी है। इस सुरक्षा तंत्र को उन सैद्धांतिक नियमों का पालन करना चाहिए जिनके कारण दुनिया का वह हिस्सा समृद्धि करता रहा है। कुक ने कहा, ‘‘हम इसे उन सभी भागीदारों के लिए एक अवसर के रूप में देखते हैं और हम दक्षिण चीन सागर समेत हर उस जगह पर उड़ान भरना, नौवहन करना और संचालन करना जारी रखेंगे, जहां के लिए अंतरराष्ट्रीय कानून में अनुमति है।’’ कुक ने कहा, ‘‘हम इन विवादों से जुड़े उन सभी दावेदारों से अपील करते हैं कि वे हर वह चीज करें, जिससे तनाव कम किया जा सकता है। इनमें उन स्थानों का सैन्यीकरण से बचना भी शामिल है। हमारा मानना है कि यह कदम चीन समेत सभी देश उठा सकते हैं।’’
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