हुमा मानती हैं बॉलीवुड में भी चलता है भाई-भतीजावाद

फिल्म अभिनेत्री हुमा कुरैशी ने कहा है कि वह हमेशा बॉलीवुड में ‘बड़े व्यक्ति’ से सलाह लेने की जरूरत महसूस करती हैं। अभिनेत्री का कहना है कि अगर वह यह कहेंगी कि बॉलीवुड में पक्षपात नहीं होता है तो यह झूठ होगा लेकिन इंडस्ट्री के लोग काफी मेहनती हैं। हुमा कहती हैं कि सच्चाई यह है कि यहां भाई-भतीजावाद चलता है। अगर कोई कहे कि यहां ऐसा नहीं है तो वह झूठ बोलेगा। अभिनेत्री ने हाल ही में कहा कि इंडस्ट्री के लोग बहुत मेहनती हैं और अपने काम को लेकर जुनूनी हैं और आपको उनके काम का क्रेडिट कठिन मेहनत और क्षमता को देना होगा लेकिन इंडस्ट्री से होना काम को आसान जरूर बना देता है। हुमा कहती हैं कि उनके इंडस्ट्री के दोस्तों की तरह उनके पास बॉलीवुड का सार जानने का लाभ नहीं है। वह कहती हैं कि कई बार मैं नहीं जानती हूं कि अपने कैरियर को किस दिशा में ले जाउं, कौन सी फिल्म करूं और ऐसे समय में एक बड़े व्यक्ति की जरूरत पड़ती है जो योजना में मदद करे। इंडस्ट्री के लोगों को यही लाभ मिलता है। हुमा की हालिया फिल्म ‘जॉली एलएलबी 2’’ को काफी प्रशंसा मिली। इस फिल्म में वह अक्षय कुमार के साथ दिखीं। इस फिल्म के बारे में वह कहती हैं कि इसकी कहानी दर्शकों को पसंद आयी और किरदारों से दर्शक खुद को जोड़ पाये। हुमा कहती हैं कि फिल्म में अक्षय कुमार के साथ काम करते समय काफी कुछ सीखने को मिला और अक्षय का रवैया भी काफी सहयोगात्मक रहा। हुमा कहती हैं कि इस तरह की सशक्त कहानी वाली फिल्में करने का मजा ही कुछ और है। दिल्ली की रहने वाली हुमा पूरी तरह गैर फिल्मी पृष्ठभूमि से हैं। लेकिन उनका मन अभिनय में शुरू से ही लगता था। वह काफी समय तक थियेटर से जुड़ी रहीं और आमिर रजा हुसैन, सोहेला कपूर, राहुल पुलकेशी और एन.के. शर्मा जैसे निर्देशकों के साथ कई नाटकों में काम किया। इसके बाद वह मुंबई चली गईं और वहां कुछ टीवी कार्यक्रमों में उन्हें काम करने का मौका मिला। हुमा को जल्द ही कुछ विज्ञापनों में भी काम करने का मौका मिला। इन विज्ञापनों में वीटा मैरी, सफोला ऑयल, मेडरमा क्रीम, पीर्यस साबुन और नैरोलेक पेंट के विज्ञापनों में उन्हें खूब पसंद किया गया। हुमा ने अपने फिल्मी कैरियर की शुरुआत तमिल सिनेमा से करनी चाही थी जहां उन्हें फिल्म ‘बिल्ला−2’ फिल्म में अभिनेता अजीत कुमार के सामने काम करने का मौका मिला था। खबर थी कि इस फिल्म के लिए उनका चयन 700 लड़कियों के ऑडिशन के बाद किया गया था। लेकिन यह फिल्म किन्हीं कारणों से लेट होती गयी जिससे हुमा की ओर से साइन किये गये अन्य प्रोजेक्ट लेट हो रहे थे इसलिए हुमा ने इस फिल्म को छोड़ दिया। इस तरह हुमा की पहली फिल्म ‘गैंग्स ऑफ वासेपुर’ बनी। हुमा का मानना है कि अच्छा अभिनय और कहानी दर्शकों को फिल्म से जोड़ते हैं, भाषा मायने नहीं रखती। हुमा कहती हैं कि मैं चुनौतीपूर्ण किरदार निभाना चाहती हूं। मैं बार−बार एक ही तरह का काम नहीं करना चाहती क्योंकि इससे दर्शक मुझसे ऊब जाएंगे।

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