राम नाम की महिमा

महादेव जी को एक बार बिना कारण के किसी को प्रणाम करते देखकर पार्वती जी ने पूछा आप किसको प्रणाम करते रहते हैं? शिव जी ने अपनी धर्मपत्नी पार्वती जी से कहा कि देवी! जो व्यक्ति एक बार राम कहता है उसे मैं तीन बार प्रणाम करता हूं। इसके बाद पार्वती…
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क्यों श्री कृष्ण ने किया था एकलव्य का वध ?

एकलव्य की कुशलता महाभारत काल में प्रयाग के तटवर्ती प्रदेश में सुदूर तक फैला श्रृंगवेरपुर राज्य एकलव्य के पिता निषादराज हिरण्यधनु का था। उस समय श्रृंगवेरपुर राज्य की शक्ति मगध, हस्तिनापुर, मथुरा, चेदि और चंदेरी आदि बड़े राज्यों के समकक्ष थी।…
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सभी यज्ञों के पुरोहित माने जाते हैं अग्निदेव

अग्नि देवता यज्ञ के प्रधान अंग हैं। ये सर्वत्र प्रकाश करने वाले एवं सभी पुरुषार्थों को प्रदान करने वाले हैं। सभी रत्न अग्नि से उत्पन्न होते हैं और सभी रत्नों को यही धारण करते हैं। वेदों में सर्वप्रथम ऋग्वेद का नाम आता है और उसमें प्रथम…
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स्वयं भवानी विराजती हैं विन्ध्यवासिनी देवी शक्तिपीठ में

भारत के उत्तर प्रदेश प्रांत में पवित्र धाम वाराणसी और इलाहाबाद के बीच मिर्जापुर जनपद है। मिर्जापुर शहर से आठ किलोमीटर दूर पश्चिम की ओर मां विन्ध्यवासिनी देवी का शक्तिपीठ है। कहा जाता है कि स्वयं भवानी इस स्थान पर विराजती हैं। यहां…
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देवोत्थनी एकादशी के दिन से शुरू हो जाते हैं शुभ कार्य

कार्तिक शुक्ल एकादशी को देवोत्थनी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। हिन्दू मान्यताओं के अनुसार, इस दिन से विवाह, गृह प्रवेश तथा अन्य सभी प्रकार के मांगलिक कार्य आरंभ हो जाते हैं। एक पौराणिक कथा के अनुसार भगवान विष्णु ने भाद्रपद मास की शुक्ल…
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सभी अभिलाषायें पूर्ण करती हैं माँ विन्ध्यवासिनी

भारत के उत्तर प्रदेश प्रांत में पवित्र धाम वाराणसी और इलाहाबाद के बीच मिर्जापुर जनपद है। मिर्जापुर शहर से आठ किलोमीटर दूर पश्चिम की ओर मां विन्ध्यवासिनी देवी का शक्तिपीठ है। कहा जाता है कि स्वयं भवानी इस स्थान पर विराजती हैं। यहां प्रत्येक…
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क्यों पाठ-पूजा में जरूर बजाना चाहिए शंख?

उज्जैन। हिन्दू धर्म में पूजा परंपराओं के अलावा कई खास मौकों पर शंख नाद यानी शंख बजाना मंगलकारी माना गया है। इन अवसरों पर शंख से पैदा ध्वनि के बड़े ही शुभ प्रभाव होते हैं। पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक शंख नाद यानी शंख बजाने का फल शत्रुओं…
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१३ दिसंबर को है लक्ष्मी कृपा पाने का दिन, ये १३ उपाय अवश्य करें

उज्जैन। लक्ष्मी की कृपा के लिए इस शुक्रवार, 13 दिसंबर को एक खास तिथि आ रही है। इस तिथि पर किए गए चमत्कारी उपाय का फल बहुत ही जल्द प्राप्त होता है। हिन्दी पंचांग के अनुसार शुक्रवार को अगहन मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी है। इस एकादशी को मोक्षदा…
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आप जानते हैं,जप में माला का प्रयोग क्यों होता है

आपने देखा होगा कि बहुत से लोग ध्यान करने के लिए और भगवान का नाम जपने के लिए माला का प्रयोग करते हैं। कुछ लोग उंगलियों पर गिन कर भी ध्यान जप करते हैं। लेकिन शास्त्रों में माला पर जप करना अधिक शुद्घ और पुण्यदायी कहा गया है। इसके पीछे धार्मिक…
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धरती पर ब्रह्मा जी का निवास पुष्कर तीर्थ

जयपुर के दक्षिण पश्चिम में स्थित अजमेर हिन्दू-मुस्लिम धर्म का संगम स्थल रहा है। अजमेर हिन्दू तीर्थ यात्रियों में उतना ही लोकप्रिय है जितना कि मुसलमानों में। अजमेर से मात्र 14 किलोमीटर की दूरी पर स्थित पुष्कर मंदिरों और झीलों के लिए प्रसिद्घ…
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खास है यह सोमवार, जन्मदिन मनाएंगे शिव के यह अवतार

सोमवार भगवान शिव का दिन माना जाता है। इस पर शुभ संयोग यह है कि सोमवार 25 नवंबर को माशीर्ष कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि भी है शास्त्रों में इस दिन को भगवान काल भैरव का जन्मदिन बताया गया है। काल भैरव भगवान शिव के रौद्र रूप हैं। इसलिए यह सोमवार…
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पटाखे, मिठाई और दीपों वाली दीपावली

दीपावली नजदीक है। त्योहारों के इस मौसम में भला कौन तुम्हें मस्ती करने से रोक सकता है। हम भी यही कहेंगे कि दोस्तों के साथ जमकर मजे करो। पर ये याद रखना कि जो भी करो एक हद में करना, अगर यादा मस्ती की, तो भुगतना भी पड़ सकता है तुम्हें। कैसे,…
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वैभव लक्ष्मी व्रत का पाठ

मुझे नहीं मालूम कि कब से वैभव लक्ष्मी व्रत कथा लोकप्रिय हुआ है लेकिन इस व्रत कथा का पाठ रोचक लगा। कई समृद्ध परिवारों में यह कथा चल रही है। इक्कीस हफ्ते तक इसका व्रत रखा जाता है। मेरे घर में कथा-वथा नहीं होती है लेकिन पड़ोसी से ही श्री वैभव…
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इस बार नवरात्र में जरूर याद रखें ये शुभ मूहर्त, नवरात्र में कन्या भोजन से जुड़ी जरूरी बातें

नौ साल बाद नवमी और दशमी तिथि का मिलन हो रहा है। इसके चलते लोगों में असमंजस बना हुआ है। वहीं, ज्योतिषियों का मानना है कि ऐसी स्थिति में नवमी पूजन और रावण दहन एक ही दिन होना चाहिए।22 अक्तूबर 2004 के शारदीय नवरात्रों में भी यही स्थिति थी।…
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पितृ पक्ष समाप्ति की तरफ

भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष के पंद्रह दिन पितृ पक्ष (पितृ अथवा पिता) के नाम से जाने जाते है। इन पंद्रह दिनों में लोग अपने पितरों (पूर्वजों) को जल देते हैं तथा उनकी मृत्यु तिथि पर श्राद्ध आदि सम्पन करते हैं। पितरों के लिए किए जाने वाले श्राद्ध…
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