टिकाऊ नहीं मुफ्त बिजली का नारा : जेटली

नई दिल्ली,आम आदमी पार्टी की तरफ से दिल्ली विधान सभा चुनाव में मुफ्त बिजली के नारे को जमकर भुनाने पर तंज कसने की बारी वित्त मंत्री अरुण जेटली की थी। गैर पारंपरिक ऊर्जा स्रोत पर वैश्विक सम्मेलन के समापन समारोह को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि राज्य की तरफ से मुफ्त बिजली देने की परंपरा टिकाऊ नहीं है।

इसके साथ ही उन्होंने राजग सरकार की तरफ से सस्ती दर पर कोयला बेच कर आम जनता को कम दर पर बिजली उपलब्ध कराने की नीति को ज्यादा टिकाऊ व प्रायोगिक ठहराया। दो दिन पहले ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी आप की मुफ्त बिजली देने के चुनावी वादे पर तंज कसते हुए कहा था कि जिन राज्यों के पास अपनी बिजली नहीं है, वे लोगों को मुफ्त बिजली देने की बात करते हैं।

जेटली ने कहा कि सस्ती बिजली देने का एक तरीका यह है कि राज्य सरकार सब्सिडी दे कर यह काम करे। लेकिन यह टिकाऊ नहीं है। एक दूसरा तरीका वह है जिसे कोयला व बिजली मंत्री पीयूष गोयल आजमा रहे हैं। कोयला ब्लॉकों की नीलामी में ऐसा फॉर्मूला आजमाया जा रहा है जिससे बिजली संयंत्रों को सस्ती दरों पर कोयला मिलेगा और इसका फायदा आम जनता को सस्ती बिजली के तौर पर मिलेगा।

यह फॉर्मूला ज्यादा टिकाऊ है। इस फॉर्मूले को बनाने के लिए उन्होंने गोयल की खुल कर प्रशंसा भी की। वित्त मंत्री ने कहा कि पिछले चार दिनों के दौरान कोयला ब्लॉकों की नीलामी को लेकर जो परिणाम सामने आए हैं वे काफी सकारात्मक हैं।

भारतीय अर्थव्यवस्था के मौजूदा हालात पर प्रकाश डालते हुए जेटली ने बताया कि भारत उन गिने-चुने देशों में है जिसको लेकर सभी को भरोसा है कि यह भविष्य में अच्छा करेगा। यूरोप की हालत खराब है। भारत के अलावा ब्रिक्स के अन्य देशों की स्थिति डांवाडोल है। चीन भी काफी चुनौतीपूर्ण समय से गुजर रहा है।

यही वजह है कि सभी तरह के निवेशक भारत की तरफ देख रहे हैं। यह ऐतिहासिक समय है। ऐसे में देश में ऊर्जा विकास पर खास ध्यान देना होगा और खास तौर पर पर्यावरण को नुकसान नहीं पहुंचाने वाले ऊर्जा स्रोतों के विकास को लेकर ठोस नीति बनानी होगी।

नवीन व नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय ने वित्त मंत्री से आगामी बजट के जरिये कई तरह के शुल्कों व करों में राहत की मांग की है ताकि इस स्रोत से बनने वाली बिजली सस्ती की जा सके।

वित्त मंत्रालय के भेजे गए एक प्रस्ताव में कहा गया है कि सौर ऊर्जा को सबसे ज्यादा वित्तीय मदद व सहारे की दरकार है। वित्त मंत्रालय से कहा गया है कि वह गैर पारंपरिक ऊर्जा परियोजनाओं को पर्याप्त वित्त पहुंचाने के लिए खास उपाय करें।

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