कांग्रेस नेतृत्व में विधायी समझ का अभाव: अरुण जेटली

arunनई दिल्ली। केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने सदन में और सदन के बाहर सरकार के खिलाफ कांग्रेस के आक्रामक रुख पर रविवार को पलटवार किया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस नेतृत्व के पास विधायी समझ (विधायी साक्षरता) का अभाव है और उसे दूसरों पर आश्रित रहने के बजाय खुद से पढ़ने की जरूरत है।
जेटली इस सुझाव से असहमत थे कि भाजपा और केंद्र सरकार भूमि विधेयक मुद्दे पर अनुभूति की अपनी लड़ाई हार चुकी है। वित्त मंत्री ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के उन आरोपों को भी खारिज किया जिनमें उन्होंने कहा है कि सरकार ने करों की छूट देकर दरियादिली के साथ अगले चार सालों में कॉरपोरेट को 2.5 लाख करोड़ रुपये का अप्रत्याशित लाभ पहुंचाने का काम किया है। जेटली ने कहा कि दुर्भाग्य से इस मुद्दे पर मौजूदा सोच समझ के अभाव के कारण है। यदि आप उनके कुछ भाषण सुनेंगे तो वे न केवल उनके अपने कानून के खिलाफ हैं बल्कि वे वर्तमान मूड से प्रभावित हैं। मैं इसके लिए ‘ह्विच इज टू द लेफ्ट ऑफ मा‌र्क्स’ मुहावरे का इस्तेमाल करता हूं। ऐसी चीज जो आज के समय में पूरी तरह से पुरानी और विकास की दुश्मन है।
जेटली ने जीएसटी, भूमि विधेयक और रीयल एस्टेट विधेयक पर पार्टी के रुख को लेकर कांग्रेस नेताओं पर निशाना साधने के लिए उदाहरण दिए। उन्होंने कहा कि मैं कहूंगा कि निश्चित रूप से विधायी साक्षरता का अभाव है। कांग्रेस इतिहास की अनदेखी कर जाती है और उसके बाद कहती है कि यह विधेयक राजग सरकार ने लाया है। मैं इसका विरोध करना चाहता हूं। जेटली ने कहा कि वह इस बात से चिंतित हैं कि कांगे्रस पार्टी के शीर्ष नेतृत्व ने इन विधेयकों को बारीकी से पढ़ा ही नहीं है।
इसी तरह वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) विधेयक को कांगे्रस ने अपने शासनकाल में पेश किया था। उसे संसद की स्थायी समिति से भी स्वीकृति मिल गई थी। मात्र एक बड़े बदलाव के अलावा हर चीज स्थायी समिति के अनुसार ही रही। अब बगैर पढ़े कांग्रेस नेतृत्व ने उस पर अपना रुख बदल लिया। कांग्रेस नेतृत्व रीयल एस्टेट विधेयक के खिलाफ बोल रहा है। यह वही विधेयक है जिसे संप्रग सरकार ने तैयार किया था। संसद में पेश भी संप्रग ने ही किया था। स्थायी समिति से भी स्वीकृति तभी मिल गई थी। यह विधेयक हमें विरासत में मिला है।
जेटली ने 2013 के भूमि विधेयक को किसान विरोधी और ग्रामीण भारत विरोधी करार दिया और कहा कि उसमें बदलाव बहुत जरूरी था। राहुल गांधी को गंभीरता से लेने के मुद्दे पर जेटली ने कहा कि मेरा मानना है कि राहुल को उनसे अधिक गंभीरता से मीडिया ले रहा है।

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