दुनिया में खऱाब हुई भारत-चीन की छवि

टोरंटो,30 मई 2013 – पिछले साल की तुलना में दुनिया भर में भारत और चीन की छवि खराब हुई है। बीबीसी वर्ल्ड सर्विस की ओर से 25 देशों में कराए गए एक सर्वे से इसका पता चला है। बीबीसी वर्ल्ड सर्विस की ओर से ग्लोबस्कैन और पीआईपीए ने दिसंबर 2012 से अप्रैल 2013 के बीच करीब 26,299 लोगों के बीच ये सर्वे किया है।
देशों की रेटिंग आंकने वाले इस सर्वे के मुताबिक भारत के वैश्विक प्रभाव को लेकर सकारात्मक सोच रखने वाले लोगों में छह फ़ीसदी की गिरावट देखी गई। 2012 में दुनिया के 21 देशों के (इन्हीं देशों में राय पूछी गई) करीब 41 फ़ीसदी लोग मानते थे कि वैश्विक स्तर पर भारत की पहचान मज़बूत है, लेकिन 2013 में ये आंकड़ा गिरकर 34 फ़ीसदी रह गया है।
मसलन कैनेडा में 2012 में करीब 53 फ़ीसदी लोग भारत के प्रभावी छवि के प्रति सकारात्मक रुझान रखते थे जो 2013 में गिरकर 35 फ़ीसदी पर आ गया है। अमरीका में भारत की सकारात्मक रेटिंग में 13 फ़ीसदी की गिरावट देखने को मिली है। प्रोफेसर हर्ष पंत के मुताबिक आने वाले कुछ सालों में वैश्विक स्तर पर भारत की छवि में बहुत सुधार नहीं होने वाला है। पंत कहते हैं, जब तक भारत अपनी अंदरूनी समस्याएँ ठीक नहीं कर लेता, शासन की स्थिति बेहतर नहीं हो जाती तब तक हालात ऐसे ही रहेंगे। हालांकि अभी भी अमरीका में 43 फीसदी लोग भारत की छवि को बेहतर मानते हैं, जबकि 37 फ़ीसदी लोग इससे उलट राय रखते हैं।
चीन और भारत की छवि आर्थिक मंदी के चलते खऱाब हुई है। इसके अलावा विकास दर की कमी और भ्रष्टाचार के बढ़ते मामले भी इसके लिए जिम्मेदार है। महिलाओं के साथ होने अपराधों ने भी भारतीय छवि को प्रभावित किया है। वहीं दूसरी ओर नकारात्मक सोच रखने वाले लोगों में आठ फ़ीसदी का इजाफा देखने को मिला है। 2012 में भारत की छवि को नकारात्मक मानने वाले लोग इन देशों में करीब 27 फ़ीसदी थे जो अब बढक़र औसतन 35 फ़ीसदी तक पहुंच गए हैं।
पीआईपीए के निदेशक स्टीवन कॉल कहते हैं, चीन और भारत की छवि आर्थिक मंदी के चलते खऱाब हुई है। इसके अलावा विकास दर की कमी और भ्रष्टाचार के बढ़ते मामले भी इसके लिए जिम्मेदार है। महिलाओं के साथ होने अपराधों ने भी भारतीय छवि को प्रभावित किया है।
आंकड़ों के मुताबिक पहली बार भारत के प्रति नकारात्मक सोच रखने वाले लोगों की संख्या सकारात्मक सोच रखने वालों से बढ़ गई है। भारत के प्रति सकारात्मक सोच रखने वाले सबसे ज़्यादा लोग सब-सहारा अफ्रीकी देशों में रहते हैं। इनमें नाइजीरिया सबसे आगे रहा है। नाइजरिया के 57 फ़ीसदी लोग भारत की छवि को बेहतर मानते हैं। वहीं घाना के करीब 46 फीसदी लोग भारत के प्रति अछा भाव रखते हैं। वैसे इस सूची में इंडोनेशिया 51 फ़ीसदी के साथ दूसरे नंबर पर रहा है।
जापान में 42 फ़ीसदी लोगों में भारत की छवि अछी है। रूस में भारत के प्रति यही नजरिया देखने को मिला है। जबकि ब्रिटेन में 43 फ़ीसदी लोग भारत को बेहतर नजरिए से देखते हैं। वहीं दूसरी ओर ऑस्ट्रेलिया में करीब 56 फ़ीसदी लोग भारत की छवि को बेहतर नहीं मानते हैं। पाकिस्तान में करीब 54 फ़ीसदी तक जा पहुंचा है। विश्लेषकों के अनुसार सरकारी नीतियों ने भारत की छवि खऱाब की है। यूरोपीय देशों स्पेन और जर्मनी में भारत के प्रति सबसे यादा नकारात्मक सोच रखने वाले लोग हैं। स्पेन में 56 फ़ीसदी तो जर्मनी में करीब 50 फीसदी लोग भारत की छवि को सकारात्मक नजरिए से नहीं देखते हैं।
इसकी वजह बताते हुए किंग्स कॉलेज लंदन के प्रोफेसर हर्ष वी पंत ने कहा, भारत की अंदरूनी समस्याएं हैं। पिछले कुछ समय से शासन की जो स्थिति है। किस तरह से सरकार चल रही है और क्यों सरकार काम नहीं कर रही है? उसकी चर्चा अब बाहर के देशों में भी देखने को मिल रही है। उसी का असर सर्वे में दिख रहा है।
वहीं क्लिक करें चीन में भी भारत की छवि पर नकारात्मक असर यादा दिखा है। पिछले साल भारत की छवि को बेहतर मानने वालों लोगों में करीब 12 फीसदी की कमी दर्ज की गई है। वैसे इस सर्वे के मुताबिक हाल के दिनों में पश्चिमी यूरोप और उत्तरी अमरीका में भारत की छवि सबसे ज़्यादा प्रभावित हुई है।
दूसरी ओर चीन को लेकर भी दुनिया भर की राय की अछी नहीं है। अमरीका, कैनेडा, दक्षिण कोरिया, जापान, फ्रांस, जर्मनी और स्पेन में करीब 67 फ़ीसदी लोग चीन की छवि को बहुत यादा गंभीरता से नहीं देखते हैं। लेकिन पाकिस्तान के लोग चीन की छवि को सबसे बेहतर मानते हैं। पाकिस्तान में प्रत्येक पांच में चार आदमी (करीब 81 फ़ीसदी) लोग चीन की छवि को प्रभावी समझते हैं। कैनेडा दूसरे नंबर पर है जबकि ग्रेट ब्रिटेन तीसरे नंबर पर है।

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