स्कूलों में होनी चाहिये राष्ट्रीय स्तर की सुविधायें: बबीता

अभिनेता आमिर खान अभिनीत फिल्म दंगल के बाद मशहूर हुई महिला पहलवान बबीता फोगाट ने कहा कि देश में महिला कुश्ती को बढ़ावा देने के लिये राष्ट्रीय स्तर की सुविधायें ग्रामीण क्षेत्रों और स्कूलों में दी जानी चाहिये क्योंकि बच्चों की शुरूआत स्कूलों और गांव से होती है। यह फिल्म गीता और बबीता फोगाट के जीवन पर बनी है। बबीता ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘महिला कुश्ती को बढ़ावा देने के लिये राष्ट्रीय स्तर की सुविधायें ग्रामीण क्षेत्र और स्कूलों में मिलनी चाहिये क्योंकि बच्चों की शुरूआत स्कूलों से होती है, अपने गांव से होती है। यदि वही कुश्ती का प्रतिस्पर्धी माहौल दिया जाये तो महिला कुश्ती के खेल में बेहतर परिणाम आने लगेंगें।’’ उन्होंने कहा, ‘‘यदि कोई संस्थान या सरकार मदद करती है तो हम एक कुश्ती अकादमी शुरू करना चाहते हैं।’’ बबीता ने कहा कि फिल्म दंगल के प्रदर्शन के बाद उनकी निजी जिंदगी पर काफी प्रभाव पड़ा है और इससे उनका पूरा जीवन ही बदल गया है। उन्होंने कहा, ‘‘अगर हमें कितनी भी तकलीफ होती हो लेकिन लोगों से जो प्यार मिल रहा है उसके लिये मना नहीं कर पायेंगे। क्योंकि आप लोग ही सब कुछ हैं और इसी की बदौलत ही हम यहां तक पहुंचे हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘इस फिल्म के प्रदर्शन का हमारे खेल पर दबाव नहीं पड़ा है क्योंकि खेल में पदक लाना हमारे हाथ में नहीं होता हैं। हमारे हाथ में हमारी मेहनत होती है, प्रदर्शन होता है और वह हम करते हैं। कहीं कोई कमी होती है तो हम उसे दूर करने का प्रयास करते हैं।” बबीता ने एक सवाल के उत्तर में कहा कि महिला कुश्ती में पहले के मुकाबले अब काफी सुधार हुआ है। शुरूआत के समय देश में महिला पहलवान नहीं थीं। एक सवाल के उत्तर में उन्होंने कहा कि महिला कुश्ती के खेल में कोच की कोई कमी नहीं है। बबीता ने स्वीकार किया कि दंगल फिल्म के बाद महिला कुश्ती के प्रति लोगों की सोच में सकारात्मक बदलाव आया है और इसमें लोगों को रुचि पैदा हुयी है। उन्होंने कहा, ‘‘अब कई लोग पापा के अखाड़े में अपनी लड़कियों को कुश्ती सिखाने के लिये लाने लगे हैं। लेकिन हमारे पास इतनी सुविधायें नहीं है कि सभी को सीखा सकें। यदि सरकार या कोई संस्थान मदद करे तो हम चाहतें हैं कि एक कुश्ती अकादमी शुरू की जाये।’’ दंगल फिल्म में लड़कियों के उनके पिता द्वारा बाल कटवाने की घटना को वास्तविक बताते हुए बबीता ने कहा, ‘‘यह काल्पनिक फिल्मांकन नहीं था। यह वास्तविक घटना थी। पापा ने हमारे बाल कटवाते हुए कहा था ‘ये सब शौक आप बाद में पूरा कर सकते हो और हमारा सबसे पहला शौक कुश्ती होना चाहिये। और आज भी हमारे बाल छोटे ही हैं और शौक कुश्ती है।”

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