यहां हनुमानजी को अर्जी लिखो, होगी मनोकामना पूरी!

दरभंगा
आपने हनुमान मंदिरों में जाने वाले श्रद्धालुओं को लड्डू, अगरबत्ती और फूल सहित कई पूजन सामग्री ले जाते तो देखा होगा, लेकिन बिहार के दरभंगा में एक ऐसा हनुमान मंदिर है, जहां लोग लिखने के लिए कलम भी साथ लेकर आते हैं। मान्यता है कि इस मंदिर की दीवारों पर मुराद लिखने वाले श्रद्धालुओं की मनोकामना जरूर पूरी होती है।
यह मंदिर कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय के सामने तालाब किनारे मोतीमहल क्षेत्र में है। मंदिर के पीछे भी तालाब है और आगे भी। महावीर मंदिर की विशेषता और मान्यता के कारण लोग इसे ‘मनोकामना मंदिर’ भी कहते हैं। लोगों का कहना है कि जो लोग अपनी अर्जी सफेद संगमरमर से बनी दीवारों पर लिख देते हैं, उनकी मुराद जरूर पूरी होती है।
काफी पुराने इस मंदिर की देखरेख कामेश्वर न्यास बोर्ड के अधीन है। कहा जाता है कि इस मंदिर की स्थापना दरभंगा के राजा रामेश्वर सिंह ने कराई थी। मंदिर के पुजारी ध्रुवकांत झा ने आईएएनएस को बताया कि इस मंदिर में प्रतिदिन सैकड़ों श्रद्धालु भगवान हनुमान की पूजा करने आते हैं, जिनमें ज्यादा लोग सिर्फ अपनी मनोकामना लिखने आते हैं।
महावीर जयंती और रामनवमी सहित मंगलवार तथा शनिवार को यहां आने वाले भक्तों की संख्या बढ़ जाती है।
दरभंगा राज परिसर में होने के कारण इस मंदिर के आसपास कई महल, बगीचे और तालाब हैं। मंदिर के सामने के तालाब के सामने ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय का केंद्रीय पुस्तकालय है और पुस्तकालय के आगे जनकवि नागार्जुन की आदमकद प्रतिमा हाल ही में स्थापित की गई है।
मंदिर के पुजारी बताते हैं कि वैसे तो भक्त हर तरह की मनोकामना लेकर आते हैं, लेकिन इनमें विवाह से संबंधित तथा पुत्र की कामना वाले लोगों की संख्या काफी अधिक होती है। वे कहते हैं कि मनोकामना पूरी होने के बाद लोग पुन: इस मंदिर में आते हैं और पूजा कर लड्ड चढ़ाते हैं।
दरभंगा के एक पत्रकार प्रकाश झा बताते हैं कि इस मंदिर में मांगी गई मुराद कभी अधूरी नहीं रहती है। वे कहते हैं कि शानदार नक्काशी वाले मंदिर की ऊंचाई कम है। लोगों को झुककर मंदिर में प्रवेश करना पड़ता है, परंतु जिनकी मनोकामना पूरी हो जाती है, उनके लिए तो यह बड़ा मंदिर है। वे कहते हैं, लोगों का कहना है कि राजा ने किसी अपने किसी रिश्तेदार के लिए मंदिर का निर्माण करवाया था। रिश्तेदार नाटे कद के थे।
उन्होंने कहा कि मन्नत मांगने आने वालों में युवक-युवतियों की संख्या सबसे अधिक होती है। मुराद पूरी होने के बाद भक्त बजरंगबली को प्रसाद स्वरूप लड्डू चढ़ाते हैं।

 

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