विश्व में आतंकवाद के प्रसारक पाकिस्तान पर कड़ी कार्रवाई जरूरी

पाकिस्तान एक ऐसा मुल्क़ है जिसका अस्तित्व किसी भी सभ्य समाज के लिए अभिशाप है। दुनिया में आतंकवाद को पनाह देने से लेकर उसका पालन पोषण करने में सारी ताकत लगा देता है पाकिस्तान। इन तथ्यों से ऐसा लगता है उसकी अर्थव्यवस्था ही आतंकवाद का पालन पोषण करने से चलती है। इसलिए इस मुल्क को आतंक की फैक्ट्री कहें तो अतिशयोक्ति नहीं होगी। पाकिस्तान ने तो हद कर दी है, वह बार बार सीमा पर सीज़फायर का उल्लंघन कर रहा है। 1 मई 2017 को सुबह लगभग 8.40 पर पाकिस्तान ने पुंछ सेक्टर की कृष्णा घाटी में पेट्रोलिंग कर रहे जवानों पर फायरिंग की जिसमें सेना और बीएसएफ के एक एक जवान शहीद हो गए और कई जवान घायल हो गए। दरसल एलओसी से 200 मीटर अंदर सेना और बीएसएफ के 10 जवान दो चौकियों के बीच पेट्रोलिंग कर रहे थे। उसी समय लैंडमाइन की ख़बर मिलने पर वह लोग भारतीय सीमा में एलओसी के पास देखने गए। पाकिस्तान की सेना घात लगाकर बैठी थी और पाकिस्तानी सेना ने पहले फायरिंग की फिर राकेट दागे। उस हमले में सेना और बीएसएफ के एक एक जवान शहीद हो गए। पाकिस्तान ने तो तब और भी हद कर दी जब अंतर्राष्ट्रीय सैन्य कानूनों का उल्लंघन कर पाकिस्तानी बॉर्डर एक्शन टीम(बैट) ने भारतीय सैनिकों के शव को एलओसी के पास क्षत विक्षत किया और भाग गए।

आखिर बैट है क्या? दरसल बॉर्डर एक्शन टीम (बैट) पाकिस्तानी फौज की खूनी टुकड़ी के तौर पर कुख्यात है। यह पाकिस्तान की स्पेशल सर्विस ग्रुप के साथ मिलकर कार्य करती है। बैट एके 47, डिजिटल नेविगेशन और सैटेलाइट फोन से लैस है। यह आतंकवादियों को नियंत्रण रेखा पार करने में मदद करती है। हमें पाकिस्तान जैसे आतंकी देश को निश्चित ही दीर्घकालिक नीति के तहत स्थायी सबक सिखाने की ओर अग्रसर होना पड़ेगा। वरना पाकिस्तान तो बार बार कायरता पूर्ण हमलों को अंजाम देता रहेगा क्योंकि वो तो आतंकवादी पैदा करने वाली फैक्ट्री है। वर्तमान में शायद ही कोई ऐसा मुल्क है जो आतंकवाद से पीड़ित न हो इसके बावजूद विश्व समुदाय पाकिस्तान जैसे मुल्क को बर्दाश्त क्यों कर रहे हैं। सभी को ज्ञात है कि विश्व में आतंकवाद को फैलाने में पाकिस्तान का ही बड़ा हाथ है जहाँ आतंकी पैदा किए जाते हैं और उनका पालन पोषण करने के उपरांत दूसरे मुल्कों में आतंकी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए भेजा जाता है।
हाल में पाकिस्तान ने 27 अप्रैल 2017 को जम्मू कश्मीर के कुपवाड़ा में सेना के कैंप पर हमला किया जिसमें कैप्टन समेत सेना के तीन जवान शहीद हो गए। इसके पूर्व पाकिस्तान ने कई कुकृत्यों से इंसानियत को शर्म सार किया है। जैसे 9 मई 1999 को कारगिल में कैप्टन सौरभ कालिया सहित 5 जवानों के शव के साथ बर्बरता, जून 2008 में जब गोरखा राइफल्स का जवान रास्ता भटक गया तो उसे पाकिस्तान की बॉर्डर एक्शन टीम ने पकड़ा था। केन सेक्टर में उसका शव भी क्षत विक्षत ही मिला था। 2013 में भी भारतीय सीमा में घुसकर शहीद हेमराज के साथ भी ऐसा ही किया गया और अक्टूबर 2016 में कुपवाड़ा के माछिल सेक्टर में भारतीय जवानों के साथ बर्बर सलूक किया गया। ऐसे में पाकिस्तान के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई आवश्यक हो जाती है जब पाकिस्तान बार बार अंतर्राष्ट्रीय सैन्य कानून का उल्लंघन कर हमारे भारतीय सैनिकों के शव को क्षत विक्षत करता है।
आखिर अंतर्राष्ट्रीय नियम हैं क्या? इंटरनेशनल कम्युनिटी ऑफ रेड क्रास के अनुसार सैनिकों के शवों के साथ कोई छेड़छाड़ न हो इसके लिए 1907 में हेग कन्वेंशन में एक नियम अपनाया गया था। इसके पश्चात जिनेवा कन्वेंशन में भी इसे शामिल किया गया। जेनेवा कन्वेंशन के अनुसार टकराव में सम्मिलित दोनों पक्षों को शवों को बुरे व्यवहार से बचाने हेतु कदम उठाना चाहिए। युद्ध में मुठभेड़ या किसी और कारण से मारे गए व्यक्ति के शव का सम्मान करना चाहिए। 1880 के ऑक्सफोर्ड मैन्युअल के अनुसार युद्ध में पड़े हुए शवों के साथ बर्बरता पर पूरी तरह पाबंदी है। लेकिन पाकिस्तान जैसे मुल्क के लिए नियम कानून कोई मायने नहीं रखता है। यह घटना इसी तथ्य को दर्शाती है।
1 मई 2017 को सुबर 8.40 पर एलओसी पर पाकिस्तानी बैट का हमला तो शाम को जम्मू कश्मीर के कुलगाम में एटीएम कैश वैन पर हमला किया गया जिसमें पांच पुलिस कर्मी शहीद हो गए और दो गार्ड मारे गए। ख़बर यह है कि शोपिया में तीस आतंकवादी घूम रहे हैं जो जम्मू और कश्मीर में विभिन्न घटनाओं को अंजाम देते हैं। इससे स्पष्ट है कि पाकिस्तान के आतंकी भारतीय सीमा के अंदर भी सक्रिय हैं। हालांकि भारतीय सेना ने 1 मई  2017 की शाम को जवाबी कार्रवाई करते हुए कृष्णा घाटी के पास स्थित पाकिस्तान की दो पोस्ट को तबाह कर दिया है और सात पाकिस्तानी सैनिकों को मार गिराया है। लेकिन सिर्फ इतना ही काफी नहीं है।
इससे पहले भी 2016 में पाकिस्तान ने ऐसी हरकत की थी तो भारतीय सेना ने आर्टिलरी गन से जवाब दिया था। आर्टिलरी गन की फायरिंग में पाकिस्तान की चार चौकियां नेस्तानाबूत हुई थीं। सितंबर 2016 में उड़ी हमले में पाकिस्तानी आतंकियों द्वारा भारतीय कैंप पर हमला किया गया जिसमें उन्नीस भारतीय जवान शहीद हुए थे। उसके पश्चात सेना की स्पेशल फोर्स ने पाकिस्तान के अंदर घुस कर आतंकवादियों को मार गिराया था और उनके शिविर नष्ट किए थे। बावजूद पाकिस्तान अपने कायरता पूर्ण कृत्यों से बाज नहीं आ रहा है। दिन प्रतिदिन सीज़ फायर उल्लंघन करना ही इनका प्रतिदिन का कार्य है और यदि मौका मिले तो शहीद भारतीय सैनिकों के शव को क्षत विक्षत करना लेकिन पाकिस्तानी सरकार विश्व समुदाय के समक्ष पाकिस्तानी सेना को प्रोफेशनल बताती है।
कृष्णा घाटी में 1 मई 2017 को एलओसी के पास दो सैनिकों के शव क्षत विक्षत मिले लेकिन पाकिस्तान विदेश मंत्रालय ने बयान जारी कर कहा कि “पाकिस्तानी सेना ने किसी प्रकार का संघर्ष विराम का उल्लंघन नहीं किया है। जवानों के साथ बर्बरता का आरोप गलत है। पाकिस्तान की सेना प्रोफेशनल है और जवान के साथ असम्मानजनक हरकत नहीं करती।” वैसे तो हम सभी जानते हैं कि पाकिस्तान का यही रवैया है- पाकिस्तानी सेना द्वारा कुकृत्य को अंजाम देना, फिर इंकार करना। ऐसी स्थिति में पाकिस्तान जैसे आतंकी राष्ट्र से निपटने हेतु भारत सरकार को कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए ताकि पाकिस्तान की कमर को तोड़ा जा सके।
पाकिस्तान में, जब कमर बाजवा को राहिल शरीफ के रिटायर होने के पश्चात सेनाध्यक्ष की कमान सौंपी गई तो माना जा रहा था वे उदारवादी हैं। लेकिन वह भारत के प्रति जहर उगलने में कोई कमी नहीं करते हैं। कृष्णा घाटी में घटित आतंकी घटना के एक दिन पहले उन्होंने एलओसी पर भारत के विरुद्ध जमकर जहर उगला और उसकी परिणति स्पष्ट है। अर्थात वहाँ की सेना ही भारत में आतंकी गतिविधियों को अंजाम देने में मदद करती है। ऐसे में वक्त आ गया है कि पाकिस्तान पर प्रचंड प्रहार कर सबक सिखाया जाए। हालांकि रक्षा मंत्री ने कहा है कि शहीदों के बलिदान व्यर्थ नहीं जाएगा। भारतीय सेना कार्रवाई करने में सक्षम है।
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