अंतरिक्ष में भारत की नयी छलाँग, सबसे भारी रॉकेट प्रक्षेपित

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने आज शाम 5.28 पर इतिहास रचते हुए सबसे भारी रॉकेट जीएसएलवी-एमके 3 डी1 का सफल प्रक्षेपण किया। श्रीहरिकोटा से प्रक्षेपित हुआ यह रॉकेट अपने साथ 3,136 किलोग्राम वजन का संचार उपग्रह जीसैट-19 लेकर गया है। यह रॉकेट पूरी तरह स्वदेशी तकनीक से बना हुआ है। रॉकेट के प्रक्षेपित होते ही नियंत्रण कक्ष में बैठे वैज्ञानिकों में खुशी की लहर दौड़ पड़ी। भारत के लिए यह बहुत बड़ी उपलब्धि है क्योंकि अब तक 2,300 किलो से ज्यादा वजन वाले संचार उपग्रहों के प्रक्षेपण के लिए इसरो को विदेशी प्रक्षेपकों पर निर्भर रहना पड़ता था। जीएसएलवी एमके3-डी1 भूस्थतिक कक्षा में 4000 किलो तक के और पृथ्वी की निचली कक्षा में 10,000 किलो तक के पेलोड (या उपग्रह) ले जाने की क्षमता रखता है। इसरो के अध्यक्ष एएस किरण कुमार ने कहा कि यह अभियान अहम है क्योंकि देश से प्रक्षेपित किया जाने वाला यह अब तक का सबसे भारी रॉकेट और उपग्रह है। इससे पहले इसरो ने 3,404 किलो के संचार उपग्रह जीसैट-18 को फ्रेंच गुयाना स्थित एरियाने से प्रक्षेपित किया था। जीएसएलवी-एमके 3-डी1 तीन चरणीय यान है, जिसमें स्वदेशी क्रायोजेनिक ऊपरी चरणीय इंजन लगा है। आज का यह अभियान भारत के संचार संसाधनों को बढ़ावा देगा क्योंकि अकेला एक जीसैट-19 उपग्रह पुरानी किस्म के छह-सात संचार उपग्रहों के बराबर होगा।

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