अंजू ने वैश्विक प्रतियोगिताओं में अधिक हिस्सा लेने को कहा

लंबी कूद की पूर्व दिग्गज खिलाड़ी अंजू बाबी जार्ज ने कहा कि भारतीय एथलीट वैश्विक प्रतियोगिताओं में तब तक निचले पायदान पर रहेंगे जब तक कि शीर्ष स्तर की अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में नियमित रूप से नहीं खेलते। वर्ष 2003 में कांस्य पदक के साथ विश्व चैंपियनशिप में पदक जीतने वाली एकमात्र भारतीय एथलीट अंजू ने कहा कि अधिकतर भारतीय अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में जाकर प्रतिस्पर्धा पेश करने की जगह ट्रेनिंग करने को तरजीह देते हैं। उनका साथ ही मानना है कि अमेरिकी और यूरोपीय एथलीटों की तरह शीर्ष भारतीय एथलीटों को भी अपने मैनेजर रखकर पेशेवरपन को अपनाना चाहिए। अंजू ने कहा, ‘हमारे समय की तुलना में अब बुनियादी ढांचा काफी बेहतर है लेकिन मुख्य चीज यह है कि हम पहले वाली जगह पर अटके हुए हैं क्योंकि हमारे एथलीट अब भी सिर्फ ट्रेनिंग में विश्वास करते हैं, हम अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेने नहीं जाते।’ उन्होंने कहा, ‘असल में हम सिर्फ ट्रेनिंग वाला हिस्सा कर रहे हैं जो 50 प्रतिशत होता है लेकिन प्रतियोगिताओं में शीर्ष स्तर पर होना या ग्रां प्री और डाइमंड लीग प्रतियोगिताओं के जरिये शीर्ष स्तर पर आना भारत में नहीं हो रहा।’ वैश्विक स्तर पर सफलता के लिए भारतीय एथलीटों को क्या करना चाहिए यह समझाते हुए अंजू ने कहा, ‘हम अब भी विश्वास करते हैं कि हम देश में कड़ी मेहनत कर सकते हैं और फिर विश्व चैंपियनशिप या ओलंपिक में हिस्सा ले सकते हैं। यह सही तरीका नहीं है, इससे आप ओलंपिक या विश्व चैम्पियनशिप में पदक नहीं जीतने वाले।’  उन्होंने कहा, ‘अमेरिकी या यूरोपीय इस तरीके से काम नहीं करते। आपको शीर्ष स्तर की अन्य प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेना होगा। मैं इसी तरह (अमेरिकी और यूरोपीय एथलीटों की तरह) कर रही थी इसलिए मुझे उस स्तर पर सफलता मिली।’ शीर्ष स्तर की इन प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेने के लिए कौन धनराशि स्वीकृत करेगा इस पर अंजू ने कहा, ‘धनराशि स्वीकृत करना सरकार का काम है लेकिन एथलीटों को भी पेशेवर की तरह काम करना होगा।’ उन्होंने कहा, ‘आप पेशेवर एथलीट हैं और आपके मैनेजर या कोच को सब चीजों का ध्यान रखना चाहिए- आपकी यात्रा, आपकी ट्रेनिंग, आपका कार्यक्रम आदि। ये सभी चीजें करनी होगी, यह आपके अंदर पेशेवरपन लाने की तरह है। यह महासंघ का काम नहीं है। अमेरिकी और यूरोपीय पेशेवर एथलीट हैं और वह स्वयं सब कुछ करते हैं।’ अंजू ने जूनियर स्तर के एथलीटों को निखारने की जरूरत पर भी बल दिया जिससे कि बाद में सीनियर स्तर पर शीर्ष प्रदर्शन करने वाले खिलाड़ी तैयार किए जा सकें।

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