ब्रैम्पटन में आयोजित पंजाब पवैलियन में ”सांस्कृतिक” कुछ भी नहीं: समीक्षक

ब्रैम्पटन। कुछ दक्षिण एशियन ग्रुपस और जीटीए के पंजाबी परिवारों ने मिलकर ब्रैम्पटन में ”पंजाब पवैलियन” के आयोजन पर सवालिया निशान उठाए जा रहे हैं, वहां पहुंचे अन्य पंजाबी परिवारों और समीक्षकों का दावा हैं कि यह कार्यक्रम पूर्णत: पंजाबी नहीं हैं और न ही इसमें वहां की संस्कृति और सभ्यता का पूर्ण रुप से ब्यौरा दिया हैं। ब्रैम्पटन के एक उद्योगपति पीयूष गुप्ता के अनुसार इस प्रकार के कार्यक्रम से वहां की धार्मिक भावना व राजनैतिक संबंधों को भी हानि पहुंची हैं, पंजाब भारत का एक राज्य हैं जो वहां की संस्कृति का एक प्रतीक हैं, सही अर्थों में ”पंजाब” की तस्वीर यहां नहीं दिखाई गई हैं जिसका उन्हें खेद हैं। गुप्ता ने गारडियन से कहा कि पंजाब पवैलियन में वह स्वयं के पंजाब को ढूंढते रह गए परन्तु वहां उन्हें कोई झलक नहीं मिली। मैं इसके आयोजको को बताना चाहता हूं कि पंजाब केवल एक धर्म का प्रांत नहीं बल्कि यहां मिलजुली संस्कृति का समूह हैं, जबकि इस पवैलियन में केवल पंजाबियों को ही यहां का सर्वेसर्वा बताया हैं। कारब्रम की अध्यक्षा एंजला जॉनसन ने इन सभी बातों को खारित करते हुए कहा कि यह केवल बेवजह का हो-हल्ला हैं, हमारा मकसद केवल पंजाबी संस्कृति का प्रचार हैं, न कि किसी एक राज्य या देश का प्रचार करना। हम केवल वहां के उत्सवों और शिक्षा का प्रसार कर रहे थे। जिसे गलत समझा गया इसका हमें खेद हैं। हम सभी चाहते थे कि यह कार्यक्रम सौहार्दपूर्ण तरीके से पूर्ण होना चाहिए। दूसरी ओर इंडिया पवैलियन के आयोजक डॉ. मेहर हुसैन ने कहा कि कारब्रम समारोह को हमने मिलकर और एकता के प्रतीक के रुप में मनाया।
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