अंतर्राष्ट्रीय परमाणु संपन्न देशों के बीच संवाद की जरूरत: भारत

संयुक्त राष्ट्र। भारत ने परमाणु निरस्त्रीकरण का लक्ष्य पूरा करने के उद्देश्य से विश्वास और भरोसा कायम करने के लिए परमाणु हथियारों से संपन्न सभी देशों के बीच ‘‘सार्थक संवाद’’ की जरूरत उजागर की है। संयुक्त राष्ट्र महासभा में पेश लिखित पक्ष में भारत ने कहा है कि उसने परमाणु हथियारों के रखने, विकास, उत्पादन, खरीदारी, परीक्षण, जखीराबंदी, हस्तांतरण और इस्तेमाल या उसके लिए धमकी देने पर प्रतिबंध लगाने के लिए समग्र परमाणु हथियार कन्वेंशन के ‘निरस्त्रीकरण पर सम्मेलन’ (सीओडी) में वार्ता की हमेशा सुसंगत रूप से समर्थन किया है। भारत ने परमाणु हथियारों के उपयोग पर प्रतिबंध पर किसी कन्वेंशन पर चर्चा के लिए अलग से अपनी रजामंदी दोहराई। संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थाई प्रतिनिधि सैयद अकबरूद्दीन ने कहा, ‘‘विश्वास और भरोसा बनाने और अंतरराष्ट्रीय मामलों एवं सुरक्षा अवधारणा में ऐसे हथियारों की प्रमुखता घटाने के लिए परमाणु हथियार संपन्न सभी देशों के बीच सार्थक संवाद की जरूरत है।’’ अकबरूद्दीन ने गुटनिरपेक्ष आंदोलन से खुद को जोड़ते हुए ‘‘परमाणु हथियारों से मुक्त दुनिया’’ और परमाणु हथियारों के पूरी तरह निर्मुलन के लक्ष्य के प्रति भारत की प्रतिबद्धता दोहराई। भारत ने यह बात मई में कही थी और यह संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट का हिस्सा है जिसे कल सार्वजनिक किया गया। इसमें अनेक अन्य देशों के बयान भी हैं। परमाणु हथियारों के अप्रसार पर संधि (एनपीटी) के संदर्भ में जिन पांच देशों के ‘परमाणु हथियार संपन्न देश’ (एनडब्ल्यूएस) माना जाता है, उनमें अमेरिका, फ्रांस, ब्रिटेन, रूस और चीन हैं। परमाणु हथियारों से संपन्न अन्य देशों में भारत, पाकिस्तान और उत्तर कोरिया को गिना जाता है।

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