बातचीत और आतंकवाद एक साथ नहीं हो सकते: सरकार

सरकार ने संसद की एक समिति को बताया कि उसने पाकिस्तान को स्पष्ट रूप से बता दिया है कि बातचीत और आतंकवाद एक साथ नहीं चल सकते हैं तथा आतंक, हिंसा एवं शत्रुता से मुक्त माहौल में ही सार्थक और उद्देश्यपूर्ण बातचीत हो सकती है। लोकसभा में पेश विदेश मामलों संबंधी समिति की भारत पाकिस्तान संबंध विषयक सोलहवीं रिपोर्ट पर सरकार की कार्रवाई रिपोर्ट में कहा गया है कि बातचीत के लिये आतंक, हिंसा और शत्रुता से मुक्त माहौल के निर्माण की जिम्मेदारी पाकिस्तान की है । सरकार ने कहा कि समिति की सिफारिश के अनुसार, खेल एवं सांस्कृतिक सम्पर्क तभी अर्थपूर्ण हैं जब इनके साथ साथ पाकिस्तान की ओर से सीमा पार आतंकवाद के विरूद्ध विश्वसनीय एवं प्रभावी कार्रवाई की जाए। रिपोर्ट में कहा गया है कि सरकार मछुआरों, कैदियों, अनजाने में सीमापार करने वाले लोगों, संकट में फंसे नागरिकों और चिकित्सा उपचार संबंधी मानवीय मुद्दों का समाधान करने के लिये कदम उठाती रहेगी। इसमें कहा गया है कि सरकार ने कई व्यापक सिद्धांतों के आधार पर पाकिस्तान के प्रति दृढ़ नीति का पालन किया है। इनमें पड़ोस प्रथम की नीति और मैत्रीपूर्ण पड़ोस के दृष्टिकोण और सम्पूर्ण एशिया के साथ साथ प्रगति के लक्ष्यों को ध्यान में रखते हुए सरकार ने आतंकवाद, हिंसा और शत्रुता के साए से मुक्त वातावरण में पाकिस्तान के साथ मैत्रीपूर्ण संबंधों का समर्थन किया है। जब भी अवसर मिला सरकार ने पाकिस्तान के साथ बातचीत की है। रिपोर्ट में इस बात पर जोर दिया गया है कि भारत और पाकिस्तान के बीच सभी लंबित मुद्दों का समाधान शिमला करार और लाहौर घोषण को ध्यान में रखते हुए शांतिपूर्ण और द्विपक्षीय रूप से किया जाना चाहिए । इसमें कहा गया है कि राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दों पर किसी प्रकार का समझौता न करने के दृढ़ संकल्प के साथ सीमापार आतंकवाद का करारा जवाब दिया गया। भारतीय सैन्य दलों द्वारा नियंत्रण रेखा के पास विभिन्न आतंकवादी अड्डों के विरुद्ध आतंकवाद रोधी अभियान और पाकिस्तान की ओर से नियंत्रण रेखा एवं अंतरराष्ट्रीय सीमा के आसपास अकारण युद्ध विराम का उल्लंघन करने पर कड़ा जवाब दिया गया।

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