उत्तर कोरिया मामले पर वैनकुअर में जुट रहे 20 देश

वैनकुअर। उत्तर कोरिया के मामले को लेकर दुनिया के 20 देश कनाडा के वैनकुअर। शहर में जुट रहे हैं, लेकिन चीन और रूस इसमें हिस्सा नहीं लेंगे। बैठक में उत्तर कोरिया के परमाणु कार्यक्रम रोकने के लिए लगाए गए प्रतिबंधों को बेहतर तरीके से लागू करने पर मुख्य रूप से चर्चा होगी। बैठक ऐसे समय में हो रही है जब शीत ओलंपिक को लेकर उत्तर और दक्षिण कोरिया तनाव करने के प्रयास में हैं। वैनकुअर। बैठक का आयोजन अमेरिका और कैनेडा कर रहे हैं। बैठक में 20 देशों के विदेश मंत्री और वरिष्ठ अधिकारी हिस्सा लेंगे। अमेरिकी विदेश मंत्रालय के अधिकारी ब्रायन हुक ने पिछले सप्ताह कहा था कि बैठक में उत्तर कोरिया के चारोतरफ समुद्री सुरक्षा बढ़ाने पर भी चर्चा की जाएगी। साथ ही प्रतिबंधों को उल्लंघन कर सामान ले जाने वाले जहाजों को रोकने के उपाय ढूंढे जाएंगे। बैठक से अलग रहने वाले चीन का कहना है कि वैनकुअर बैठक शीत युद्ध वाली सोच का उदाहरण है। वह बातचीत से इस मामले के हल का पक्षधर है। चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से फोन पर बातचीत में कोरियाई प्रायद्वीप में कम हो रहे तनाव को जारी रहने देने पर जोर दिया। इससे पहले चीन के सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स ने कहा था कि वैंकूवर बैठक उत्तर कोरिया के परमाणु मसले को हल करने में अमेरिका के प्रभावी भूमिका निभाने की इच्छा को दर्शाता है।  इससे चीन और रूस की भूमिका कमजोर होगी। यह बैठक ऐसे समय में भी हो रहा है, जब उत्तर कोरियाई तानाशाह किम जोंग उन और अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप के बीच जुबानी जंग का सिलसिला जारी है। दोनों कई मौकों पर एक दूसरे पर कटाक्ष कर चुके हैं और हमले की धमकी दे चुके हैं। पिछले साल लगातार परमाणु परीक्षण कर उत्तर कोरिया ने कई देशों के लिए खतरा पैदा कर दिया है। खास तौर से अमेरिका के लिए, जिसको वह परमाणु हमले की धमकी देकर अक्सर डराता रहता है। उत्तर कोरिया दावा कर चुका है कि उसने अमेरिका पर हमला करने वाला मिसाइल विकसीत कर लिया है।
उत्तर कोरिया सम्मेलन में मुख्य मुद्दा प्रतिबंध, परमाणु प्रसार का विरोध और कुशल शासन होगा

वैनकुअर। वैनकुअर में आयोजित विदेश मंत्रियों की बैठक में मुख्य मुद्दा उत्तर कोरिया पर लगे प्रतिबंध, परमाणु प्रसार का विरोध और कुशल शासन रहा। कोरिया में कैनेडा के राजदूत ईरीक वालस ने कहा कि मंत्रियों का मुख्य उद्देश्य उत्तर कोरिया पर लगे प्रतिबंध पर सकरात्मक कदम उठाने हैं, इस सम्मेलन का मुख्य उद्देश्य कुशल शासन को प्रोत्साहित करते हुए नई योजनाओं को विकसित करना रहा। अभी हाल ही में उत्तर कोरिया द्वारा किए परमाणु परीक्षण के कारण उसकी छवि शेष विश्व में नकरात्मक हो गई हैं, जिसे बदलना होगा और उसकी सकरात्मक उन्नति के बारे में सभी को उचित मार्ग दर्शन करना होगा। केंद्र सरकार इस सम्मेलन में चीन और रुस के विदेश मंत्रियों को आमंत्रित नहीं किया गया था, जिसका मुख्य कारण यह बताया गया कि ये सरकारें संयुक्त राष्ट्र की भांति उत्तर कोरिया से युद्ध की पक्ष में हैं। जबकि अन्य देशों का यही मानना हैं कि इस प्रकार का युद्ध इस समय विश्व की अर्थव्यवस्था और शांति के लिए उत्तम नहीं हैं। लेकिन अभी समय आपस में झगड़ों का नहीं बल्कि संग्रहित होकर एक बड़ी शक्ति बनकर इस प्रकार से बन रही युद्ध संभावनाओं को समाप्त करना होगा। आगामी संभावनाओं के बारे में अभी इस बैठक में कोई भी मसौदा तैया नहीं किया गया।

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