आदिवासी महिलाओं व लड़कियों की जांच रिपोर्ट सुन परिवार हुए भावुक

औटवा। पुलिस सूत्रों के अनुसार सोमवार को आदिवासी महिलाओं और लड़कियों की निर्मम हत्या और गुमशुदगी की रिपोर्ट प्रस्तुत की गई तो संबंधित परिवारों के लिए यह क्षण भावुकता से भरा था, ”जीनोसाईड” नामक जांच रिपोर्ट के आने के पश्चात सभी को अपने महिला परिजनों की याद सताने लगी। गटीन्यू में पेश की गई इस रिपोर्ट में वह क्षण बहुत अधिक भावुकता भरा हो गया जब अधिकारियों ने मृतक महिलाओं व लड़कियों के नाम पुकारें। अपनी रिपोर्ट में मुख्य आयुक्त मारीओन बुलर ने कहा कि हमारे पास बहुत कम समय था जिसमें हमें सही रिपोर्ट तैयार करनी थी और मामले को पूर्ण रुप से सभी के सामने प्रस्तुत करना था। ये रिपोर्ट जातिय हिंसा का एक जीता-जागता सबूत है जिसमें इतनी स्त्रियों की निर्मम हत्या या उनके लापता होने की संभावना जताई गई। इस सत्य को स्वीकार करना परिवार के लिए एक बहुत बड़ी चुनौती हैं, परंतु उन्हें ऐसा करना होगा। उन्होनें कहा कि ये रिपोर्ट के वल कैनेडियन आदिवासी परिवारों के लिए ही नहीं अपितु दुनिया की अन्य पिछड़ी जातियों के लिए भी एक सबक होना चाहिए, जिससे वे जाति के नाम पर अपने घरों में महिलाओं के साथ हो रहे अत्याचारों को रोक सके और इससे महिलाओं की हत्याएं और उनके उत्पीड़न के मामलों में कमी आ सके। आज भी कई मामलों में इस प्रकार की घटनाओं में कोई भी व्यक्ति उनकी सहायता के लिए नहीं खड़ा नजर आया जिससे घबराकर पीड़ित महिलाओं ने या तो अपना जीवन समाप्त कर लिया या फिर अपने परिवार को छोड़कर वे कहीं दूर चली गई। केंद्र सरकार द्वारा इन मामलों पर नियंत्रण हेतु इस प्रकार की फास्ट ट्रैक रिपोर्ट से सभी को राहत मिलने की संभावना जताई जा रही हैं। लेकिन उन्होंने दु:ख जताया कि अभी भी कानूनी सुविधाएं इन महिलाओं व लड़कियों से बहुत दूर हैं और इसके प्रति उनके परिवारों में भी जागरुकता की कमी हैं, जिसके कारण आज भी इस प्रकार की घटनाएं सुनने को मिल रही हैं जोकि निराशा को व्यक्त करती हैं। सूत्रों के अनुसार वर्ष 2005 से इस समस्या पर जांच बिठाई गई, परंतु उदासीनता के कारण इस पर अधिक कार्य नहीं किया गया, और इसकी पहली रिपोर्ट 2010 में पेश की गई जिसमें चैकनें वाले आंकड़े सामने आएं और बताया गया कि लगभग 582 आदिवासी महिलाओं और लड़कियां मारी गई या गुमशुदा हैं और इस विषय पर कोई भी उचित कानूनी कार्यवाही नहीं हुई हैं।

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