जलवायु परिवर्तन पर नियंत्रण के लिए प्राकृतिक गैस का वैश्विक प्रसार आवश्यक : रिपोर्ट

औटवा। ग्लोबल एनर्जी मॉनीटर के अनुसार अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तरल प्राकृतिक गैस के निर्यात की वृद्धि ही जलवायु परिवर्तन को समाप्त कर देंगे और कैनेडा इस उद्योग में विश्व का सबसे बड़ा उत्पादक हैं। कैनेडा डे पर जारी रिपोर्ट में बताया गया कि देश में इसके वैश्विक विकास को वर्ष 2030 तक और अधिक बढ़ाने की योजना हैं। आंतरिक सूत्रों के अनुसार प्राकृतिक गैस का उत्पादन 806 मिलीयन टन करने का लक्ष्य हैं। ज्ञात हो कि ग्लोबल एनर्जी मॉनीटर एक अंतरराष्ट्रीय गैर-सरकारी संस्था है जो खनिज ईंधन निर्माण के उपयोग पर कार्य करती हैं और उसके उपयोग से विश्व पर पड़ने वाले अच्छे व बुरे प्रभावों की जानकारी सार्वजनिक रुप से प्रसारित करती हैं। असलियत में यह समूची दुनिया के लिये बहुत बड़ा खतरा है जिससे निपटना बेहद जरूरी है। गौरतलब यह है कि पेरिस सम्मेलन में तापमान बढ़ोत्तरी की आदर्श स्थिति 1.5 डिग्री की सुझाई गई है। यदि दुनिया के देश ऐसा कर पाने में कामयाब हो पाते हैं तो यह एक महत्वपूर्ण उपलब्धि होगी या इसे यदि यूँ कहें कि यह एक अजूबा होगा तो कुछ गलत नहीं होगा। वैसे मौजूदा हालात तो इसकी कतई गवाही नहीं देते। इसका सबसे बड़ा कारण है कि कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा का खतरनाक स्तर तक पहुँच जाना है। यह खतरनाक संकेत है। इससे समूची दुनिया चिन्तित है। इसीलिये बीते दिनों संयुक्त राष्ट्र तक को इस बाबत चेतावनी देने को मजबूर होना पड़ा कि अगर जल्द कदम नहीं उठाए गए तो हालात भयावह होंगे जिनका मुकाबला कर पाना आसान नहीं होगा। दरअसल इस बाबत विश्व मौसम संगठन की वार्षिक रिपोर्ट को नजरअन्दाज करना तबाही को आमंत्रण देने जैसा ही है। संगठन की इस वार्षिक रिपोर्ट में संयुक्त राष्ट्र ने कहा है कि पेरिस जलवायु सम्मेलन में हुए समझौते में तय किये गए लक्ष्यों को हासिल करने के लिये तुरन्त प्रभावी कार्रवाई की जरूरत है। उसके अनुसार मानव गतिविधियों और मजबूत अलनीनो की वजह से कार्बन डाइऑक्साइड का वैश्विक स्तर 2015 के 400 पीपीएम से बढ़कर 2016 में रिकॉर्ड 403.3 पीपीएम तक पहुँच गया है। इसमें हो रही बढ़ोत्तरी पर अंकुश लगना समय की माँग है। यदि कार्बन डाइऑक्साइड और अन्य ग्रीनहाउस गैसों में त्वरित कटौती नहीं हुई तो सदी के अन्त तक तापमान बढ़ोत्तरी खतरनाक स्तर तक पहुँच जाएगी। इस बारे में विश्व मौसम संगठन के प्रमुख पेटरेरी टालास कहते हैं कि यह पेरिस जलवायु परिवर्तन समझौते के तहत तय किये गए लक्ष्य से ऊपर होगा। क्योंकि अब 50 लाख साल पहले जैसे हालात बन रहे हैं। असल में पिछली बार धरती पर इस तरह के हालात 30 से 50 लाख साल पहले बने थे। उस समय समुद्र का स्तर आज के मुकाबले 20 मीटर ऊँचा था। इसलिये कार्बन डाइऑक्साइड और अन्य ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन के स्तर को कम किये जाने की जरूरत है। क्योंकि कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा जितनी अधिक होगी, वायुमण्डल में ऊष्मा अवशोषित करने की क्षमता उतनी ही अधिक होगी।

You might also like

Comments are closed.