2018 की तुलना में देश में अपराध दर बढ़ी

– स्टारकेन के अनुसार अपराध दर बढ़ने के बावजूद देश पिछले दस वर्षों की तुलना में अधिक सुरक्षित हो गया हैं।
औटवा। सरकारी सूत्रों के अनुसार 2018 के पश्चात एक बार फिर से देश की अपराध दर का आंकलन किया गया, जिसके पश्चात सांख्यिकी कैनेडा ने बताया कि इसमें लगभग 2 प्रतिशत की वृद्धि हुई जोकि चिंता का विषय हैं। आंकड़ों में यह भी बताया कि पिछले वर्ष पूरे देश में छोटी बड़ी घटनाओं को मिलाकर दो लाख घटनाएं घटी, जिसमें से केवल 5,488 घटनाओं पर कार्य हो रहा हैं जबकि 100,000 से अधिक लोगोंं पर इसका प्रभाव पड़ा। पूरे देश में दो प्रतिशत की अधिकता का पता सांख्यिकी कैनेडा द्वारा जारी रिपोर्ट में भी बताया गया और कहा गया कि यह अधिकता पिछले दस वर्षों के आंकड़ों से कम हैं जिससे यह संतुष्टि की जा सकती हैं कि देश में अपराध दर में तो बढ़ोत्तरी हुई परंतु सुरक्षा बढ़ी हैं। ज्ञात हो कि वर्ष 1991 में कैनेडा में अपराध अपने चरम पर था, जिसके पश्चात यदि अभी के समय की तुलना करें तो यह अपराध दर काफी कम हैं जिससे यह संतुष्टि की जा सकती हैं कि हम पिछले वर्षों की तुलना में अधिक सुरक्षित हैं। इस रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि वर्ष 2014 में अपराधों में 50 प्रतिशत तक की कमी आई जिससे यह अनुमान लगाया जा सकता हैं कि सरकारी जागरुकता के कारण यह संभव हो सका हैं और आज कैनेडियनस अपने भूतकाल की अपेक्षा में अधिक सुरक्षित हैं। परंतु अभी पिछले कुछ वर्षों में यहीं अपराध दर पुन: गतिमान हो रही हैं, और वर्ष 2017 और 2018 में इस दर में वृद्धि आंकी गई, जिसके लिए ठोस उपाय आवश्यक हो रहे हैं जिससे भविष्य में इसमें अधिक ईजाफा न हो और स्थिति भयावह न हो जाएं। इसके लिए अभी से इस बारे में विचार करना आवश्यक हो गया हैं। आंकड़ों में यह भी बताया गया कि यौन उत्पीड़न, शारिरीक हिंसा आदि के केसों में बढ़ोत्तरी देश के लिए बहुत बड़ी समस्या बनकर  सामने आएं हैं। इसके समाधान के लिए आवश्यक कदम उठाना अनिवार्य हो गया हैं। देश में पिछले वषो्र्रं की तुलना में 44 प्रतिशत बलात्कार की घटनाएं बढ़ी हैं जिससे महिला सुरक्षा को लेकर सवालिया निशान उठ खड़े हुए हैं।  इसके अलावा वायलेंट हिंसा में भी वृद्धि गहरी चिंता का विषय हैं। देश में आदिवासी लोगों पर होने वाली हिंसा सबसे दयनीय मानी जा रही हैं। जिसके लिए उपाय करना बहुत आवश्यक हैं विशेष तौर पर ओंटेरियो और क्यूबेक में स्थिति सबसे दयनीय हैं। रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि दुनिया में जहां इस्लामोफोबिया बढ़ रहा हैं तो वहीं यहूदियों पर होने वाली हिंसा में कमी आई हैं।

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