खास है यह सोमवार, जन्मदिन मनाएंगे शिव के यह अवतार

सोमवार भगवान शिव का दिन माना जाता है। इस पर शुभ संयोग यह है कि सोमवार 25 नवंबर को माशीर्ष कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि भी है शास्त्रों में इस दिन को भगवान काल भैरव का जन्मदिन बताया गया है। काल भैरव भगवान शिव के रौद्र रूप हैं। इसलिए यह सोमवार विशेष शुभ फलदायी है।
काल भैरव के विषय में मान्यता है कि यह काल के भी काल हैं। जो इनकी भक्ति करता है उसे किसी प्रकार का भय नहीं सताता है। मृत्यु भी इनसे डरती है। शास्त्रों में कहा गया है कि जो व्यक्ति काल भैरव की भक्ति करता है उसके पाप स्वत: दूर हो जाते हैं और मृत्यु के पश्चात इनके भक्तों को शिवलोक में स्थान प्राप्त होता है।
कालभैरव को काशी का स्वामी कहा जाता है। काशी के विषय में मान्यता है कि जिस व्यक्ति की मृत्यु काशी में होती है उसे यमदूत अपने साथ नहीं ले जाते क्योंकि यहां यम का शासन नहीं चलता है। शिवपुराण में बताया गया है कि काशी ही मात्र एक ऐसा स्थान है जहां मृत्यु पाने वाले को नरक नहीं जाना पड़ता है क्योंकि यहां पर यमराज का राज नहीं चलता है। यहां के स्वामी हैं कालभैरव।
काशी में मृत्यु पाने वाले का न्याय काल भैरव करते हैं। कालभैरव का न्याय यमराज के न्याय से भी कठोर है। इनके हाथों में एक सोटा है। काशी में मृत्यु पाने वाले का जो भी पाप होता है उसके पाप को दूर करने के लिए कालभैरव मृत व्यक्ति की आत्मा की सोटे से पिटाई करते हैं।
जो जितना पापी होता है उसकी उतनी ही पिटाई होती है। पाप की सजा पाने के बाद आत्मा को पाप से मुक्ति मिल जाती है। इसके बाद व्यक्ति को शिवलोक में स्थान मिल जाता है।

काल भैरव को प्रसन्न करने के उपाय
काल भैरव अष्टमी के दिन पितरों की पूजा के बाद काल भैरव की पूजा करना उत्तम फलदायी माना जाता है। मान्यता है कि ऐसा करने से सभी प्रकार की विघ्न बाधाएं दूर हो जाती हैं। कालभैरव शिव के तामसी रूप हैं इसलिए इन्हें प्रसाद स्वरूप मदिरा चढ़ाया जाता है। कहीं कहीं कालभैरव को दूध चढ़ाने का भी विधान है। जो लोग मदिरा का सेवन नहीं करते हैं उन्हें दूध से ही कालभैरव की पूजा करनी चाहिए।

शास्त्रों में काल भैरव का वाहन कुत्ता बताया गया है। काल भैरव को प्रसन्न करने के लिए कुछ अन्य उपाय न करना चाहें तो सबसे आसान तरीका है कि काले कुत्ते को मीठी रोटी खिलाएं। इस उपाय से कालभैरव के साथ ही साथ शनि देव भी खुश हो जाएंगे।
शनि को खुश करने के लिए उत्तम है यह शनिवार
शनि महाराज को खुश करने के लिए 23 नवंबर का दिन बड़ा ही उत्तम है। इस दिन शुभ संयोग यह है कि शनिवार है और पुष्य नक्षत्र का योग बन रहा है। ज्योतिषशास्त्र में पुष्य नक्षत्र का स्वामी शनि को माना गया है।
ज्योतिषशास्त्री चन्द्रप्रभा बताती हैं इस शुभ स्थिति में शनि महाराज की पूजा करना विशेष फलदायी होगा। एक शुभ सयोग यह भी है कि शनि महाराज इस दिन उदित हो रहे हैं। इससे शनि महाराज का बल बढ़ जाएगा।
जिन लोगों की शनि की दशा चल रही है या जिनकी कुण्डली में शनि प्रतिकूल स्थिति में बैठे हैं उन्हें शनिवार की शाम शनि महाराज की पूजा करनी चाहिए। शनि देव का तिल और सरसो का तेल चढ़ाना शुभ फलदायी होगा।

जिन लोगों के लिए संध्या के समय शनि की पूजा करना संभव नहीं हो वह किसी गरीब अथवा सफाईकर्मी को दान दे सकते हैं। बुजुर्गों को कंबल या काला वस्त्र दान करना भी शुभ फलदायी होगा।

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