१३ दिसंबर को है लक्ष्मी कृपा पाने का दिन, ये १३ उपाय अवश्य करें

उज्जैन। लक्ष्मी की कृपा के लिए इस शुक्रवार, 13 दिसंबर को एक खास तिथि आ रही है। इस तिथि पर किए गए चमत्कारी उपाय का फल बहुत ही जल्द प्राप्त होता है। हिन्दी पंचांग के अनुसार शुक्रवार को अगहन मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी है। इस एकादशी को मोक्षदा एकादशी कहा जाता है। महाभारत के युद्ध में इस तिथि पर श्रीकृष्ण ने अर्जुन को गीता का उपदेश दिया था। इसी वजह से इस तिथि को गीता जयंती के रूप में भी मनाया जाता है। इन अद्भुत योगों से यह तिथि चमत्कारी फल देने वाली है।
विश्व के किसी भी धर्म या संप्रदाय के किसी भी ग्रंथ का जन्मदिन नहीं मनाया जाता। जयंती सिर्फ श्रीमद्भगवत गीता की मनाई जाती है, क्योंकि अन्य ग्रंथ किसी मनुष्य द्वारा लिखे या संकलित किए गए हैं, जबकि गीता का जन्म भगवान श्रीकृष्ण के श्रीमुख से हुआ है। श्रीकृष्ण भगवान विष्णु के अवतार हैं और जो भी व्यक्ति इस दिन श्रीकृष्ण, विष्णु के साथ ही महालक्ष्मी के लिए खास उपाय करता है वह बहुत ही जल्द मालामाल हो जाता है।
गीता का जन्म कुरुक्षेत्र में मार्गशीर्ष मास में शुक्ल पक्ष की एकादशी को भगवान श्रीकृष्ण के श्रीमुख से हुआ। मोक्षदा एकादशी के नाम से विख्यात यह तिथि इस बार 13 दिसंबर को आ रही है।
वेदों और उपनिषदों का सार है
गीता वेदों और उपनिषदों का सार है। इसके छोटे-छोटे 18 अध्यायों में इतना ज्ञान, इतने ऊंचे गंभीर सात्विक उपदेश हैं, जो व्यक्ति को बुरी दशा से उठाकर देवताओं के स्थान में बैठा देने की शक्ति रखते हैं। गीता का लक्ष्य मनुष्य को कर्तव्य का बोध कराना है।
पुनर्जन्म की व्याख्या
दुनिया के किसी भी धर्म-दर्शन में पूर्वजन्म या पुनर्जन्म की स्पष्ट व्याख्या नहीं मिलती। सिर्फ हिंदू सनातन धर्म-दर्शन में ही पूर्व और पुनर्जन्म पर चर्चा की गई है। व्यावहारिक रूप में देखें तो सिर्फ हमारी व्यवस्था में ही हम एक ही जन्म में तीन जन्मों की चर्चा करते हैं। इसके पीछे हमारे ऋषि-मुनियों द्वारा प्रतिपादित सत्कर्म की शिक्षा ही है। श्रीकृष्ण ने गीता में आत्मा के अजर-अमर होने और निष्काम फल की शिक्षा दी है।
ज्योतिष में भी है चर्चा
फलित ज्योतिष में जातक की कुंडली के लग्न से वर्तमान जन्म, नवम् भाव से पिछले जन्म व पंचम् भाव से अगले जन्म का फलित जाना जाता है। कुंडली में ग्रहों की स्थितियां और दशाएं पिछले जन्म में संचित कर्मों के आधार पर प्रारब्ध के रूप में मिलती हैं। प्रारब्ध के आधार पर ही वर्तमान जन्म में उत्थान या पतन होता है। ईश्वर ने 84 लाख योनियों में सिर्फ मनुष्य को ही यह विशेषाधिकार दिया है कि वह वर्तमान जन्म में सत्कर्म कर प्रारब्ध में मिले दुष्कर्मों के प्रभाव को कम करे व आने वाले जन्म को व्यवस्थित करें।
– यदि आप चाहे तो इस एकादशी पर व्रत भी रख सकते हैं। व्रत करने पर अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है और भगवान विष्णु के साथ ही महालक्ष्मी की भी विशेष कृपा प्राप्त होती है। इस दिन फलाहार करें।
व्रत रखने वाले व्यक्ति को दशमी तिथि यानी गुरुवार से ही शुद्ध-सात्विक भोजन करना चाहिए। इसके बाद एकादशी के दिन सुबह जल्दी उठें और नित्य कर्मों से निवृत्त होकर विष्णु एवं लक्ष्मी की पूजा करनी चाहिए। भगवान को तुलसी के पत्ते भी चढ़ाएं। द्वादशी तिथि यानी शनिवार के दिन सुबह विष्णु पूजा के बाद गरीब और जरूरतमंद व्यक्ति को भोजन कराएं। इसके बाद स्वयं भी भोजन करें।

– लक्ष्मी, भगवान नारायण की पत्नी हैं और नारायण को अत्यंत प्रिय भी हैं। इस एकादशी पर लक्ष्मी और श्रीहरि का पूजन करें। पूजन में शंख, मोती, सीप, कौड़ी भी रखें, क्योंकि ये चीजें समुद्र से प्राप्त होने के कारण नारायण को प्रिय हैं। अत: लक्ष्मी पूजन में समुद्र से प्राप्त वस्तुओं का उपयोग अधिक किया जाता है। अत: जब भी लक्ष्मी पूजन करें ये चीजें जरूर रखें। पूजन के बाद इन चीजों को धन स्थान पर स्थापित करने से धन वृद्धि होती है।
– इस दिन लक्ष्मी-विष्णु के बाद प्रमुख द्वार पर लक्ष्मी के गृहप्रवेश करते हुए चरण स्थापित करें।
– श्रीयंत्र, कनकधारा यंत्र, कुबेर यंत्र को सिद्ध कराकर पूजा स्थान पर या तिजोरी में रखा जाता है।
– दक्षिणावर्ती शंख के पूजन व स्थापना से भी धनागमन और सुख प्राप्ति का लोकविश्वास है।
– लक्ष्मी के साथ 51 कौडिय़ों की पूजा कर उन्हें पूजास्थल, तिजोरी एवं व्यवसाय स्थल पर रखना शुभ-समृद्धि दायक माना जाता है।
– इस दिन आंकड़े के गणेश की पूजा व स्थापना से सम्पन्नता का आशीष मिलता है।
– लक्ष्मी पूजन में एकाक्षी नारियल या समुद्री नारियल की पूजा करने एवं तिजोरी में इसे रखने से घाटा नहीं होगा एवं समृद्धि आएगी।
– एकादशी की रात्रि में रामरक्षा स्तोत्र का पाठ व अनुष्ठान करने से सफलता एवं ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है। इसके साथ ही हनुमान चालीसा का पाठ भी किया जा सकता है।
– रात्रि में लक्ष्मी पूजन करें और उस समय कमल के पुष्प अर्पित करें और कमल गट्टे की माला से लक्ष्मी मंत्र ऊँ महालक्ष्मयै नम: का जप करें। इससे देवी लक्ष्मी की प्रसन्नता प्राप्त होती है।
– एकादशी के दिन सुबह जल्दी उठें और तांबे के लोटे में जल लें और उसमें लाल मिर्ची के बीज डालकर सूर्य को अर्पित करें। इस उपाय से आपको मनचाहे स्थान पर प्रमोशन और ट्रांसफर मिलेगा। यह उपाय नियमित रूप से करना चाहिए।
– किसी ऐसे शिव मंदिर में जाएं जो श्मशान में स्थित हो। उस मंदिर में शिवलिंग पर दूध, जल आदि अर्पित करें। दीपक लगाएं। इस उपाय स्थाई लक्ष्मी की प्राप्ति होती है।
– इस दिन सुबह जल्दी उठें और नित्य कर्मों से निवृत्त होकर तुलसी के पत्तों की माला बनाएं और इसे महालक्ष्मी को अर्पित करें। ऐसा करने से धन में वृद्धि होगी।
– एकादशी की शाम को किसी मंदिर में एक सुपारी और तांबे का लोटा रख आएं। इसके साथ ही कुछ दक्षिणा भी रखें। इस उपाय से भी देवी-देवताओं की कृपा प्राप्त होती है।

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