निवेशकों का पैसा लौटाने को सहारा ने दिया नया प्रस्ताव

sahara_parivaar_3010नई दिल्ली, निवेशकों का पैसा लौटाने के मामले में सहारा समूह ने सुप्रीम कोर्ट में एक नया प्रस्ताव पेश किया है। इसके मुताबिक समूह एक साल के भीतर पांच किस्तों में 20,000 करोड़ रुपये की रकम बाजार नियामक सेबी को सौंपेगा। इस प्रस्ताव के बावजूद तिहाड़ जेल में बंद सहारा प्रमुख सुब्रत राय और समूह के दो अन्य निदेशकों को मंगलवार को भी रिहाई नहीं मिल पाई। इसकी वजह यह रही कि शीर्ष अदालत ने सहारा के नए प्रस्ताव पर तत्काल विचार करने से इन्कार कर दिया। कोर्ट यह प्रस्ताव रजिस्ट्री में दाखिल करने को कहा। इस बीच सहारा के वकील राम जेठमलानी लगातार अदालत से सुब्रत राय की हिरासत को गैरकानूनी ठहराते हुए तीनों को जमानत देने की अपील करते रहे। अब बुधवार को सहारा के नए प्रस्ताव पर विचार होने की संभावना है।

इस मामले में सहारा प्रमुख व कंपनी के दो अन्य निदेशकों को अदालत ने चार मार्च को न्यायिक हिरासत में भेज दिया था। सहारा की ओर से पेश प्रस्ताव में कहा गया है कि 2,500 करोड़ की पहली किस्त तीन दिन के भीतर दे दी जाएगी। लेकिन इसके लिए खाते के संचालन पर लगी रोक हटानी होगी। 3,500-3,500 करोड़ रुपये की दूसरी, तीसरी और चौथी किस्त का भुगतान 30 जून, 31 सितंबर और 31 दिसंबर को किया जाएगा। पांचवी और आखिरी किस्त के रूप में सेबी को 7,000 करोड़ रुपये का भुगतान 31 मार्च, 2015 को किया जाएगा।

इस प्रस्ताव में सहारा ने निवेशकों का पैसा लौटाने का वादा तो किया है, लेकिन साथ ही उसने कई तरह की छूट की भी मांग की है। मसलन, सेबी को सहारा के तमाम बैंक खातों पर लगी रोक हटानी होगी। समूह ने पहले भी इस तरह का प्रस्ताव किया था। इसमें डेढ़ वर्ष में पैसा लौटाने की बात थी। इस प्रस्ताव को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया था।

इससे पहले दो घंटे चली लंबी सुनवाई में जेठमलानी ने सुब्रत राय व दो अन्य निदेशकों को रिहा करने की गुहार लगाते हुए कहा कि तीनों को हिरासत में भेजे जाने का आदेश गैरकानूनी है। सुनवाई बुधवार को भी होगी।

क्या है सहारा का प्रस्ताव :

1. बैंक खाते पर लगी रोक हटने पर 2,500 करोड़ रुपये की पहली किस्त तीन दिनों के भीतर

2. तीन-तीन महीने पर 3,500 करोड़ रुपये की तीन किस्तें

3. 31 मार्च, 2015 को 7,000 करोड़ रुपये की अंतिम किस्त

4. पहली किस्त अदायगी के बाद समूह पर लगीं तमाम पाबंदियां हटें

5. निवेशकों के भुगतान को आसान बनाने के लिए सहारा की मदद ली जाए

6. जिस पैसे का कोई दावा न हो उसे सहारा को लौटा दिया जाए

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