मुशर्रफ ने स्वीकारा, तालिबान को आइएसआइ ने ही किया है तैयार
इस्लामाबाद। आतंकी संगठनों को मदद पहुंचाने की पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आइएसआइ पर भारत के आरोपों की परवेज मुशर्रफ ने पुष्टि कर दी है। पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति मुशर्रफ ने इस सच्चाई को कुबूल किया है कि कुख्यात आतंकी संगठन तालिबान को असल में आइएसआइ ने ही तैयार किया। उसने यह काम भारतीय हितों को नुकसान पहुंचाने के मकसद से अंजाम दिया।
मुशर्रफ ने ‘द गार्जियन’ को दिए एक इंटरव्यू में उपरोक्त टिप्पणी की है। लेकिन अब पूर्व राष्ट्रपति का कहना है कि पाकिस्तान की मौजूदा सरकार को अफगानिस्तान में सक्रिय आतंकी संगठन को दी जा रही मदद पर विराम लगा देना चाहिए। साक्षात्कार के दौरान मुशर्रफ ने माना कि जब वह सत्ता में थे तो उनकी सरकार ने अफगानिस्तान की तत्कालीन करजई सरकार को नीचा दिखाने की कोशिश की और हामिद करजई की राह में कांटे बिछाने में कोरकसर नहीं छोड़ा।
उन्होंने बताया, ‘करजई का विरोध इसलिए किया गया क्योंकि उन्होंने पाकिस्तान की पीठ में छुरा घोंपने में भारत की मदद की थी। मुशर्रफ के अनुसार लेकिन अब वक्त बदल गया है। अफगानिस्तान के मौजूदा राष्ट्रपति अशरफ गनी को मदद करने की जरूरत है। लिहाजा आतंकी संगठन को आइएसआइ की ओर से दी जा रही मदद फौरन बंद कर दी जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि क्षेत्र में शांति के लिए राष्ट्रपति गनी उम्मीद की आखिरी किरण हैं। बकौल मुशर्रफ, ‘ यह सच है कि अपने कार्यकाल के दौरान करजई पाकिस्तान को चोट पहुंचाने की कोशिश कर रहे थे। इसलिए हम उस सरकार के खिलाफ काम कर रहे थे। लेकिन अब हमें अपने हितों की रक्षा करनी चाहिए।’ उन्होंने कहा कि आइएसआइ के जासूसों ने 2001 के बाद तालिबान को मदद पहुंचानी शुरू कर दी थी क्योंकि करजई सरकार भारत समर्थक थी।
मुशर्रफ ने कहा कि पाकिस्तानी सेना भारत से सशंकित रहती है क्योंकि युद्ध में उसने हमें तीन बार हराया है। पाकिस्तान को तोड़कर बांग्लादेश के गठन में नई दिल्ली का पूरा हाथ रहा है। उन्होंने बताया कि वह भारत विरोधी नहीं हैं लेकिन पड़ोसी देश के प्रति अमेरिकी दुर्भावना का इस्तेमाल करने से चूकते नहीं थे। पूर्व राष्ट्रपति का कहना था, ‘भारत भले ही खुद को बड़ा लोकतांत्रिक देश कहे। मानवाधिकारों का रक्षक बताए। लेकिन सच्चाई यह है कि वहां कोई मानवाधिकार नहीं है। अगर किसी पंडित पर अछूत जाति के लोगों की परछाई भी पड़ जाए तो वह गरीब बेचारा मार दिया जाता है। मुशर्रफ ने कहा, ‘अन्य जवानों की तरह वह भी भारतीय खुफिया एजेंसी रॉ की भूमिका को लेकर सशंकित थे।
रॉ पाकिस्तान को तोड़ने के लिए अलगाववादी ताकतों को मदद पहुंचा रही थी।’ उन्होंने बताया, ‘आजादी के बाद से ही भारत की रॉ और पाकिस्तान की आइएसआइ एक-दूसरे के खिलाफ सक्रिय रहीं। यह अब भी जारी है लेकिन अब इस प्रवृत्ति को खत्म किया जाना चाहिए।
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