दुनिया में बजेगा भारत के हुनर का डंका
नई दिल्ली । भारत के हुनर का डंका दुनिया में बजाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के अलग-अलग क्षेत्रों में युवाओं के कौशल विकास पर जोर दिया है। इसके लिए हुनर नक्शा तैयार करने और सेवा निर्यात का हब बनाने की जरूरत है। प्रधानमंत्री ने देश को विवाद सुलझाने में मध्यस्थता (आर्बिट्रेशन) का केंद्र बनाने का आह्वान भी किया और वकीलों से कहा कि वे वैश्विक प्रतिस्पर्धा से नहीं घबराएं। प्रधानमंत्री गुरुवार को यहां वैश्विक सेवा प्रदर्शनी का उद्घाटन कर रहे थे। मोदी ने कहा कि सेवा क्षेत्र में व्यापक संभावनाएं हैं। भारत का मानव बल हमारी सबसे बड़ी ताकत है। ब्रेन ड्रेन ब्रेन गेन यानी प्रतिभा पलायन अब प्रतिभा लाभ में तब्दील हो चुका है। भारत में युवाओं की आबादी अधिक है। आने वाले दिनों में अपनी विकास यात्रा में इस पहलू पर भी विचार करना है। भारत की सबसे बड़ी संपत्ति मानव संसाधन है। इसलिए देश की विकास यात्रा उसकी 65 प्रतिशत जनसंख्या पर केंद्रित होनी चाहिए, जो कि 35 साल से कम उम्र की है। देश को उन सेवाओं पर ध्यान देना होगा, जिनका निर्यात पूरी दुनिया को किया जा सकता है। देश के विभिन्न क्षेत्रों में लोगों के पास अलग-अलग हुनर है। वैश्विक समुदाय की जरूरत को पूरा करने के लिए उनके कौशल विकास के लिए प्रयास किए जा सकते हैं। नर्सिंग, उच्च स्तरीय वित्तीय सेवाएं, पर्यटन, संगीत और वेजिटेरियन कुकिंग ऐसे क्षेत्र हैं, जिनमें भारत विश्र्व में अहम भूमिका निभा सकता है। कानूनी सेवाओं संबंधी आशंका निर्मूल विधिक सेवाओं को विदेशी विधिवेत्ताओं के लिए खोलने संबंधी आशंकाओं को दूर करते हुए मोदी ने कहा कि ये आशंकाएं निर्मूल हैं। मौजूदा कानूनों में बदलाव करके भारत दुनिया में कानूनी विवादों की मध्यस्थता के लिए ग्लोबल हब बन सकता है। सरकार आर्बिट्रेशन एंड कंसिलिएशन एक्ट 1996 में संशोधन के लिए बिल लोकसभा में पेश कर चुकी है।
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