किसानों को भी चाहिए विकास : अखिलेश
नई दिल्ली, दिल्ली में संसद के भीतर भूमि अधिग्रहण बिल पर चाहे जितनी गरमागरम बहस चली हो और कांग्रेस व अन्य विपक्षी दल इसकी खिलाफत कर रहे हों, लेकिन उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की सोच अलग है। भाजपा से सख्त मतभेद और विरोध के बावजूद प्रदेश या देश के विकास के मुद्दों पर सियासत के पक्ष में वह कतई नहीं हैं। उनका दो टूक कहना है कि क्या किसान डेवलपमेंट नहीं चाहते हैं। उन्हें विकास की दौड़ से बाहर रखना ठीक भी नहीं। अखिलेश तो मोदी सरकार को भूमि अधिग्रहण का समाजवादी फामरूला भी पेश करते हैं। उनका कहना है कि ‘हमने छह हजार एकड़ भूमि अधिग्रहित की है, न कहीं लाठी चली न गोली।’ अखिलेश ने दैनिक जागरण के सीनियर एक्जिक्यूटिव एडिटर प्रशांत मिश्र को दिए विशेष साक्षात्कार में कहा, विकास के मामले में हम सियासत के पक्षधर नहीं। भूमि अधिग्रहण कानून के बारे में कहा, विकास सबको चाहिए। किसान को भी। उसके लिए जमीन की जरूरत होगी, लेकिन वह किसान की मर्जी से ली जानी चाहिए। किसानों का दर्द समझना होगा और उन्हें सम्मान देना होगा। अपने तीन वर्ष के मुख्यमंत्रित्व काल को अहम बताते हुए अखिलेश ने कहा, समाजवादी सरकार का कार्यकाल प्रदेश के विकास के लिए काफी महत्वपूर्ण है। हमने जाति धर्म से ऊपर उठकर सूबे के विकास को मुद्दा बनाया है। इस दौरान हमने जनता से किए विकास के वायदों को पूरा किया है। गांव, गरीब व किसान के हित में अनेक कार्यो को अंजाम दिया है। बुनियादी सुविधाओं के विकास के साथ ही जनकल्याणकारी योजनाएं संचालित की हैं, जिनसे खासतौर पर ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाली जनता के जीवन स्तर में सुधार आया है। 15 लाख नि:शुल्क लैपटॉप वितरण, समाजवादी पेंशन योजना,108 समाजवादी स्वास्थ्य सेवा, 102 नेशनल एंबुलेंस सेवा इन्हीं में से हैं। सरकार के प्रयासों से सूबे की अर्थव्यवस्था निरंतर बेहतर हो रही है। राय की विकास दर देश की विकास दर से अधिक है। किसानों को मुफ्त सिंचाई, उनके कर्जो की माफी जैसी योजनाओं का असर आप देख सकते हैं। मुख्यमंत्री अखिलेश ने कहा,सरकार भाईचारा और सद्भाव कायम रखते हुए राय को खुशहाली और विकास के रास्ते पर ले जाने में जुटी है,लेनिक कुछ ऐसी ताकतें हैं जो समाजवादी सरकार को बदनाम करने और सांप्रदायिक माहौल को खराब करने की कोशिश कर रही हैं।
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