चंदा विवाद में हिलेरी के बचाव में आए चटवाल
वाशिंगटन। अमेरिका में एनआरआइ होटल व्यवसायी संत चटवाल ने क्लिंटन फाउंडेशन को विदेशी चंदे को लेकर उठे विवाद में हिलेरी क्लिंटन का बचाव किया है। उन्होंने इसे 2016 के राष्ट्रपति चुनाव के लिए मैदान में उतरीं हिलेरी को बदनाम करने का घटिया प्रचार बताया।
चटवाल ने गुरुवार को एक किताब में लगाए गए इस आरोप का खंडन किया कि उनके द्वारा क्लिंटन फाउंडेशन को चंदा देने से 2008 में भारत-अमेरिका परमाणु समझौते को हिलेरी क्लिंटन का समर्थन मिला। उन्होंने इसे सौ प्रतिशत गलत बताते हुए कहा कि इसमें रत्ती भर भी सचाई नहीं है।
पीटर श्विजर की किताब ‘क्लिंटन कैश’ में लगाए आरोप पर अपनी प्रतिक्रिया में चटवाल ने कहा कि यह सब काल्पनिक बातें हैं। किताब इसीलिए लिखी गई क्योंकि हिलेरी राष्ट्रपति का चुनाव लड़ने जा रही हैं।
अमेरिका में कुछ लोग हैं जो नहीं चाहते कि कोई महिला राष्ट्रपति बने। ऐसे ही लोग हिलेरी को बदनाम करने के लिए दुष्प्रचार कर रहे हैं। कई दशकों से चटवाल क्लिंटन परिवार के मित्र हैं।
परमाणु समझौते में योगदान देने के लिए भारत सरकार ने चटवाल को 2010 में पद्म भूषण से नवाजा था। किताब में यह भी आरोप लगाया गया है कि समझौते पर हिलेरी का समर्थन जुटाने के लिए ही उन्हें यह पुरस्कार दिया गया।
चटवाल का कहना है कि चंदा इकठ्ठा करने का प्रयास और परमाणु समझौते के समर्थन में उनके अभियान का तब की सीनेटर हिलेरी के फैसले से कुछ लेना-देना नहीं है। उन्होंने परमाणु समझौते पर अमर सिंह के अमेरिकी सांसदों या हिलेरी के साथ बातचीत में शामिल होने के आरोप को भी खारिज किया।
उनका कहना है कि सिंह समझौते के लिए काम करने वाली हमारी टीम का कभी हिस्सा नहीं रहे। विदित हो कि क्लिंटन फाउंडेशन के अनुसार, 2008 में अमर सिंह ने उसे 10 से 50 लाख अमेरिकी डॉलर तक चंदा दिया।
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