अलबर्टा चुनाव परिणाम : 44 साल बाद एन.डी.पी. द्वारा ऐतिहासिक जीत
पंजाबी की संख्या कम हुई
कैलगरी, अलबर्टा की 5 मई को हुई 29वीं विधान सभा चुनाव पिछले 44 सालों से इस सूबे पर राज्य कर रही पी.स्ी. पार्टी को करारी हार देते हुए एन.डी.पी. पार्टी ने राज्य सत्ता संभालने की तैयारी कर ली है। एन.डी.पी. ने कुल ८७ सीटों में से ५३ से अधिक सीटों पर बहुमत हासिल किया है। विरोधी पार्टी वाईल्डरोज को २० सीटें मिली हैं, जबकि पिछले चार दशकों से भी अधिक समय अलबर्टा सूबे पर राज्य करने वाली पी.सी. पार्टी को मात्र ११ सीट वह भी अपने पार्टी लीडर डा. स्वैन वाली ही जीत सकी हैं। नई बनी अलबर्टा पार्टी को एक सीट ही मिली है, पर उसने पी.सी. पार्टी के शिक्षा मंत्री गोरडन को मुकाबले में हराया है। नुनेमएद (१) जहां पी.सी. पार्टी ने इन चुनावों के दौरान अपना अस्तित्व खत्म होने के किनारे ले आई है वहीं राज भाग अंदर अब पंजाबी भाईचारे की संख्या भी नाममात्र ही दिखाई देगी। सिर्फ कैलगरी ग्रीन वेन से पूर्व मंत्री मनमीत भुल्लर ही एक पंजाबी चेहरा दोबारा जीत कर अलबर्टा असैम्बली में पैर रखने योग्य हैं, जबकि एडमिंटन से तो बिल्कुल ही सफाई हो गई है। कैगलरी के हलका मैकाल में तीन पंजाबी उम्मीदवार थे, पर एन.डी.पी. की अंधेरी के आगे तीनों ही बिल्कुल टिक न सके। एन.डी.पी. के विजेता उम्मीदवार इरफान शबीर को ३७८३ वोटें मिलीं, जबकि वाईल्डरोज के हैप्पी मान को ३३६३, पी.सी. के जगदीप सहोता को २३१९ तथा लिबरल के अविनाश खंगूड़ा को २२०६ वोंटें ही मिलीं। इसी प्रकार कैलगरी क्रास से एन.डी.पी. के रिकार्डो मारिंडा को ४६०२ पुलिस चीफ की नौकरी छोड़ कर चुनाव लडऩे आए रिक हैनसन को ४५०२ वाईल्डरोज के मोईज महमूद को २०६२ तथा लिबरल पार्टी की सीट से अपने बलबूत ऊपर व अपनी टीम के सहयोग से सिर्फ १५ दिनों के चुनाव प्रचार के दौरान ही मनजोत गिल ११९१ सीटें ले सके हैं। कैलगरी ग्रीन हलका से पंजाबी मूल का उम्मीदवार अलबर्टा का पूर्व मंत्री मनमीत भुल्लर जीतने में कामयाब हो गया है। अपने विरोधी उम्मीदवार एन.डी.पी. के डॉन मुनरो से ८४४ वोटें अधिक लेकर अलबर्टा असैम्बली में बैठने योग्य हो गया है। उसकी पार्टी की सरकार न होने के कारण अब वह सिर्फ मंत्री नहीं, बल्कि एक एम.एल.ए. के रूप में भी पंजाबियों की शान बनेगा। चैस्टमीयर रोकव्यू से भी मुकाबला बड़ा कड़ा था। पार्टी के विजेता उम्मीदवार को ६९८५ वाटें मिलीं, जबकि वाईल्डरोज की लीला आहीर को ६९५८ वोटें प्राप्त करते हुए सिर्फ २७ वोटों की कमी के कारण हार का मुंह देखना पड़ा। एन.डी.पी. के विलियम जेमस को ३५१० व पंजाबी मूल के बागी उम्मीदवार जैमी लैल को ९४२ वोटें ही मिलीं। एडमिंटन के हलका मैनिंग से जहां पिछले चुनावों के समय पीटर संधू एम.एल.ए. होते थे, पर इस बार वह गुरचरण गरचा के पास नोमिनेशन ही हार गया था। नोमिनेशन जीत कर गुरचरण गरचा वी.पी.सी. पार्टी के लिए यह सीट बचा न सका। उसे सिर्फ २५७९ वोटें ही मिलीं, जबकि एन.डी.पी. की हैदर स्वीट को १२२७० वोटें मिलीं। मिल क्रीक से पार्टी का हिस्सा जीन जियोडस्की भी ३८४९ वोटें प्राप्त करके हार कबूलता हुआ अपने मुख्य विरोधी दिनेश वालर्ड को मिलीं ९०२३ वोटें को तस्दीक कर गया। जबकि लिबरल के हरप्रीत सिंह को १९१६ वोटें ही मिलीं। एलरसली से एन.डी.पी. के राड को ११०२३ वाटें मिलीं, जबकि निकटवर्ती विरोधी पंजाबी मूल के हरमन कंदोला को ३५४२ वाटें ही मिलीं। इसी प्रकार मिलवुडज से सुहेला कादरी को २९३१ वोटें ही मिलीं, जबकि जीतने वाले को ९९२७ मिलीं। एलबर्टा राज्य की प्रीमियर बनने जा रही रेचल नौटली ने १३५९७ वोटों के फर्क से फोर्ट मैकमरी वाली सीट जीती। एलबर्टा के प्रीमियर रहे जिम प्रैंटिस ने चाहे सीट तो जीत ली थी, पर उसने उसी समय अपना इस्तीफा देते हुए राजनीति से किनारा करने का फैसला लिया। लिबरल के हिस्से सिर्फ एक सीट डा. स्वैन वाली ही आई है। एक अन्य सीटा का फैसला अभी बाकी है। हारने वाली पी.सी. सरकार की अवधि अभी एक साल बाकी थी, पर जिम व उसके सलाहकारों ने यही सोचा था कि वाईल्डरोज पार्टी तो खत्म ही कर दी है। इसलिए समय से एक साल पहले चुनाव करवा कर अगले ४ साल के लिए बेफिक्र हो जाएंगे। फिर यह तो वही बात हुई कि ‘बहुत कुछ खाते हुए थोड़ा भी गया।Ó
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