ओबामा ने खाड़ी देशों को दुलारा भी, धमकाया भी
वाशिंगटन। अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने कैंप डेविड में अमेरिका और छह खाड़ी देशों की बैठक में ईरान के साथ परमाणु समझौते को लेकर संदेहों को दूर करने की कोशिश की। इस क्रम में गुरुवार को उन्होंने खाड़ी देशों के चेताने के साथ-साथ उन्हें मदद का भी भरोसा दिलाया। क्षेत्र में ईरान की महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर देते हुए उन्होंने कहा कि तेहरान के साथ संघर्ष अमेरिका और खाड़ी देशों के राष्ट्रीय हित में नहीं है। ईरान को परमाणु हथियार हासिल करने से रोकने के लिए एक समग्र संधि की दिशा में होने वाली बातचीत से खाड़ी देश के नेताओं को अवगत कराते हुए ओबामा ने कहा कि विवादों को सुलझाने के लिए एक व्यापक वार्ता की जरूरत होगी। एक ऐसी वार्ता, जिसमें ईरान और खाड़ी सहयोग परिषद (जीसीसी) के देश शामिल हों। इसके लिए जीसीसी सहयोगियों की क्षमता बढ़ाने का उन्होंने भरोसा दिलाया। अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा कि बाहरी हमले की सूरत में वे खाड़ी देशों का समर्थन करेंगे। सहयोगियों की मदद के लिए सेना का भी इस्तेमाल करने से पीछे नहीं हटेंगे। साथ ही क्षेत्रीय स्तर पर मिसाइल रक्षा प्रणाली विकसित करने में मदद की बात भी कही। आशंका क्यों? खाड़ी देशों का मानना है कि इस समझौते के बाद ईरान मध्य-पूर्व को अस्थिर करने की कोशिश कर सकता है। इस चिंता को दूर करने के लिए ही ओबामा ने यह दो दिवसीय बैठक बुलाई थी। बैठक में सऊदी अरब, कतर, संयुक्त अरब अमीरात, कुवैत, ओमान और बहरीन के नेताओं ने भाग लिया। समझौते की समीक्षा के लिए विधेयक कांग्रेस में पारित अमेरिकी कांग्रेस ने उस विधेयक को पारित कर दिया है जो सांसदों को ईरान के साथ किसी भी परमाणु समझौते की समीक्षा और उसे खारिज करने का अधिकार देता है। विधेयक गुरुवार को 400-25 के अंतर से प्रतिनिधि सभा में पारित हुआ। एक सप्ताह पहले ही सीनेट ने इसे मंजूरी दी थी। शुरुआत में बराक ओबामा ने इस विधेयक पर एतराज जताया था। हालांकि बाद में उन्होंने विधेयक पर हस्ताक्षर करने को लेकर रजामंदी दे दी थी। अब उनके हस्ताक्षर के साथ ही यह विधेयक कानून बन जाएगा।
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