चुनाव आयुक्त चुनने के लिए हो कोलेजियम जैसी व्यवस्था: जैदी

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नई दिल्ली। मुख्य चुनाव आयुक्त नसीम जैदी ने मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों के चयन के लिए एक कोलेजियम की तरह की व्यवस्था चाहते हैं। उनका कहना है कि हटाए जाने के मामले में संविधान के तहत सभी चुनाव आयुक्तों को बराबर संरक्षण मिलना चाहिए। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि चुनाव आयुक्तों के चयन की वर्तमान व्यवस्था और तीन सदस्यीय चुनाव आयोग ठीक ढंग से काम कर रहा है।
एक साक्षात्कार में जैदी ने कहा, मैं कहूंगा कि वर्तमान व्यवस्था भी सही ढंग से काम कर रही है लेकिन यदि इस बात के लिए आम सहमति बने कि इसे किसी सलाहकार तंत्र से बदला जाना है तो मैं समझता हूं कि आयोग के लिए कोलेजियम जैसी व्यवस्था ठीक रहेगी और अच्छे ढंग से काम होगा। परामर्श प्रक्रिया नहीं रहने पर भी मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों ने बहुत निष्पक्ष और स्वतंत्र ढंग से काम किया है। जैदी हाल ही में की गई विधि आयोग की सिफारिशों से जुड़े सवालों का जवाब दे रहे थे।

 

विधि आयोग ने कहा है मुख्य निर्वाचान आयुक्त सहित सभी निर्वाचन आयुक्तों की नियुक्ति तीन सदस्यीय कोलेजियम के परामर्श से राष्ट्रपति द्वारा की जानी चाहिए। इस कोलेजियम में प्रधानमंत्री, लोकसभा के नेता प्रतिपक्ष या लोकसभा की सबसे बड़े विपक्षी दल के नेता और भारत के मुख्य न्यायाधीश होने चाहिए। अभी जब तक कुछ बहुत असामान्य स्थिति नहीं हो तो वरिष्ठता के आधार पर निर्वाचन आयुक्त मुख्य निर्वाचन आयुक्त हो जाता है। उन्होंने कहा कि निर्वाचन आयुक्त पर पूरे राजनीतिक बिरादरी का भरोसा होना चाहिए। इस बारे में एक विधेयक भी पेश हुआ था लेकिन पारित नहीं हो पाया।
पूर्व के सभी चुनाव आयुक्तों ने हटाए जाने के मामले में सभी चुनाव आयुक्तों को बराबर मानने की जो मांग की थी क्या उसका आप भी समर्थन करते हैं? इस सवाल के जवाब में जैदी ने कहा कि मैं अपने पूर्व के आयुक्तों से पूरी तरह सहमत हूं। चुनाव आयोग इस बारे में विधि मंत्रालय से बात कर रहा है। विधि आयोग ने भी अपनी बात दोहराई है। सरकार मुख्य निर्वाचन आयुक्त और निर्वाचन आयुक्तों की नियुक्ति करती है।
मुख्य निर्वाचन आयुक्त को केवल संसद में महाभियोग लगाकर हटाया जा सकता है जबकि सरकार निर्वाचन आयुक्तों को मुख्य निर्वाचन आयुक्त की संस्तुति पर या बगैर संस्तुति के भी हटा सकती है। जैदी बहु सदस्यीय चुनाव आयोग का यह कहते हुए बचाव किया कि तीन सदस्यीय आयोग सबसे अच्छा है। मेरा अनुभव कहता है कि चुनाव आयोग सर्वाधिक संवेदनशील विषय लोकतंत्र को देखता है। निर्वाचन आयोग वर्ष 1950 की 25 जनवरी से ही स्थायी संवैधानिक संस्था है।

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