करगिल शहीद कालिया का मामला नहीं जाएगा इंटरनेशनल कोर्ट, विरोध
नई दिल्ली। करगिल युद्ध के दौरान पाकिस्तान की कस्टडी में अमानवीय यातनाएं सहने के बाद शहीद हुए कैप्टन सौरभ कालिया की मौत की अंतर्राष्ट्रीय जांच से एनडीए सरकार ने इनकार किया है। सरकार ने संसद में इसकी जानकारी जिसके बाद से ये मामला तूल पकड़ने लगा है इसके बाद इस मामले पर जमकर प्रतिक्रियाएं आ रही हैं।
शहीद सौरभ कालिया के पिता डॉ. एन के कालिया पिछले 16 सालों से अपने बेटे को इंसाफ दिलाने के लिए सरकारों से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक में गुहार लगा चुके हैं। लेकिन, पिछली यूपीए सरकार की तर्ज पर मोदी सरकार ने भी इस केस को आगे नहीं ले जाने का फैसला किया।
एन के कालिया की ओर सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका पर सरकार का कहना है कि इसे अंतरराष्ट्रीय न्याय अदालत में ले जाना व्यावहारिक नहीं है। संसद में राज्यसभा सांसद राजीव चंद्रशेखर के सवाल पर विदेश राज्यमंत्री वी के सिंह की ओर से दिए गए जवाब से सरकार का आधिकारिक रुख सामने आया है।
वी के सिंह ने अपने जवाब में पिछले दिनों कहा था, ‘पाकिस्तानी सेना के इस जघन्य और नृशंस अपराध के बारे में अंतरराष्ट्रीय समुदाय को बताया जा चुका है। 22 सितंबर, 1999 में संयुक्त राष्ट्र की महासभा और अप्रैल 2000 में अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग में भारत बयान दे चुका है। अंतरराष्ट्रीय कोर्ट से कानूनी तौर पर न्याय पाने के विकल्प भी गंभीरत से विचार किया गया, लेकिन यह व्यावहारिक नहीं लगा।’
एनडीए सरकार के इस रुख से एन के कालिया के साथ-साथ उन भारतीयों को भी झटका लगा है, जिन्हें यह उम्मीद थी कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार एक शहीद को इंसाफ दिलाने के लिए कठोर कदम उठाएगी।
कैप्टन सौरभ कालिया को करगिल युद्ध के दौरान 1999 में पाकिस्तान सेना ने बंधक बना लिया था और यातनाएं देकर मार डाला था। पाकिस्तान ने दावा किया था कि सौरभ का शव एक गड्ढे में मिला था और उसकी मौत सख्त मौसम की वजह से हुई।
इस पर शहीद सौरभ कालिया के पिता एन के कालिया ने भारत सरकार के पीेछे हटने पर सवाल उठाए है। उन्होंने कहा है कि सरकार इस मामले को लेकर गंभीर नहीं है,ये एक सैनिक साथ अन्याय है। मैं सरकार के रुख से दुखी हूं। पाकिस्तान को लेकर सरकार का रुख साफ नहीं है। 16 साल से किसी सरकार ने कुछ नहीं किया, भरोसा दिलाया गया,किया कुछ नहीं।
उधर कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने कहा है कि सरकार को इस मामले को लेकर अंतर्राष्ट्रीय कोर्ट में जाना चाहिए।
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