UPA-2 ने मनाया 4 साल का जश्न, खूब किया गुणगान
नई दिल्ली,23 मई 2013 –यूपीए-2 सरकार ने बुधवार को चार साल पूरे कर लिए। इस मौके पर प्रधानमंत्री आवास पर आयोजित समारोह में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के साथ मिलकर सरकार का रिपोर्ट कार्ड जारी किया। इस अंदाज़ में मतभेद की खबरों को गलत साबित करने का संदेश था तो ये भी साफ करने की कोशिश थी कि पूरी पार्टी मनमोहन सिंह के साथ खड़ी है।
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने कहा है कि भ्रष्टाचार के मुद्दे पर सरकार को बैकफुट पर आने की कोई ज़रूरत नहीं है। यूपीए-2 सरकार की चौथी सालगिरह के मौके पर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की तारीफ करते सोनिया ने साफ किया कि पूरी पार्टी उनके साथ है। लेकिन बीजेपी ने सरकार को पूरी तरह नाकाम बताते हुए उसे जश्न मनाने के बजाय चिंतन करने की नसीहत दी है। उधर, समाजवादी पार्टी ने रात्रिभोज में शिरकत न करके सरकार से अपनी दूर साफ कर दी।
रात्रिभोज के वक्त पत्रकारों से बात करते हुए सोनिया ने कहा कि मेरे और प्रधानमंत्री के बीच कोई मतभेद नहीं है और हमारा नेतृत्व साझा है। इस मौके पर सोनिया विपक्ष पर जमकर बरसीं। उन्होंने साफ कहा कि संसद में हंगामा करके विपक्ष ने खाद्य सुरक्षा और भूमि अधिग्रहण जैसे जनहित के बिल पास नहीं होने दिए। भ्रष्टाचार के मसले पर भी सोनिया फ्रंटफुट पर नज़र आईं।
इस मौके पर मनमोहन सिंह ने 2014 में सरकार की वापसी का यकीन जताया। उन्होंने खाद्य सुरक्षा बिल को संसद में पेश करने और भूमि अधिग्रहण बिल पर सहमति बनाने को सरकार की उपलब्धियों के तौर पर पेश किया। आर्थिक मोर्चे पर आलोचना झेलने वाले प्रधानमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार ने विकास दर एनडीए से बेहतर रखी।राहुल गांधी ने भी मनमोहन सिंह और सोनिया के बीच मतभेद की खबरों को खारिज किया। राहुल ने पार्टी के लिए काम करने की बात दोहराते हुए कहा कि 2014 तक मनमोहन ही प्रधानमंत्री रहेंगे। उधर, विपक्ष ने जश्न से पहले ही सरकार पर हमलों की बौछार शुरू कर दी। बीजेपी नेता सुषमा स्वराज और अरुण जेटली ने तमाम मोर्चों पर सरकार को नाकाम बताया। सुषमा ने कहा कि डॉक्टर मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री तो हैं, लेकिन नेता नहीं हैं और यूपीए बंटा हुआ है। घटक दल अपनी समस्याओ के लिए सोनिया की ओर देखते हैं। अप्रिय निर्णय सोनिया पत्र लिख कर बदलवाती हैं, बुरी चीजों का श्रेय सरकार को और अगर कुछ अच्छा हो जाये तो सोनिया को।
बीजेपी की आलोचना तो अपनी जगह, लेकिन सियासी नज़रिये से समाजवादी पार्टी की रात्रिभोज से गैरमौजूदगी काबिले गौर रही। पिछले साल इसी समारोह में मुलायम सिंह ने बाकायदा शिरकत की थी। उधर मायावती भी खुद डिनर में नहीं पहुंचीं, लेकिन कांग्रेस को तसल्ली देते हुए उन्होंने सतीश चंद्र मिश्रा और ब्रजेश पाठक को अपने नुमाइंदों के तौर पर भेज दिया।
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