आईपीएल में दोबारा कोई पद नहीं लूंगा : राजीव शुक्ला

नई दिल्ली : स्पॉट फिक्सिंग प्रकरण और इंडियन प्रीमियर लीग से जुड़े अन्य विवादों से निराश इस लुभावनी टी20 लीग के चेयरमैन राजीव शुक्ला ने आज कहा कि वह दोबारा इस पद को स्वीकार करने के इच्छुक नहीं हैं। शुक्ला ने कहा कि उनका कार्यकाल शुरूआत में एक साल के लिए था जिसका प्रत्येक वर्ष नवीनीकरण किया जाना था। उन्होंने हालांकि कहा कि वह लगातार तीसरे कार्यकाल के लिए इस प्रतिष्ठित पद पर बने रहने के इच्छुक नहीं हैं।

शुक्ला ने कहा, ‘‘आईपीएल प्रमुख का पद एक साल के लिए होता है जिसका वाषिर्क आम बैठक में हर साल नवीनीकरण किया जाता है लेकिन मेरी तीसरे साल इस पद पर बने रहने की कोई इच्छा नहीं है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘मुझे बीसीसीआई में किसी पद की लालसा नहीं है, मेरा काम मैचों का आयोजन था और मैच काफी अच्छी तरह आयोजित हुए। विवादों के बावजूद स्टेडियम खचाखच भरे थे।’’ आईपीएल चेयरमैन ने कहा, ‘‘मैं कभी किसी पद के पीछे नहीं भागा। जब मुझे आईपीएल चेयरमैन का पद दिया गया तो मैंने इसे चुनौती के रूप में लिया और अपनी सर्वश्रेष्ठ क्षमता के साथ अपना काम किया।’’ शुक्ला ने कहा कि स्पाट फिक्सिंग प्रकरण के बाद बीसीसीआई अध्यक्ष के रूप में एन श्रीनिवासन के बने रहने पर बोर्ड के सदस्यों के बीच काफी चर्चा हुई।

उन्होंने कहा, ‘‘बीसीसीआई के सदस्यों के बीच पहले ही चर्चा हो चुकी है और फिलहाल हमारी चिंता बीसीसीआई और भारतीय क्रिकेट की छवि की रक्षा करना है।’’ शुक्ला का इस पद को दोबारा स्वीकार नहीं करना श्रीनिवासन पर अतिरिक्त दबाव बना सकता है जिन्होंने यह कहते हुए अपना पद छोड़ने से इनकार कर दिया है कि उन्होंेने कुछ भी गलत नहीं किया।

पिछले साल चिरायु अमीन की जगह आईपीएल अध्यक्ष बने शुक्ला ने कहा कि स्पाट फिक्सिंग प्रकरण के सामने आने से पहले तक टूर्नामेंट ठीक चल रहा था और अब सबसे महत्वपूर्ण चीज साख बरकरार रखने की है। उन्होंने कहा, ‘‘कुछ खिलाड़ियांे और कुछ लोगों की गलतियों की वजह से आईपीएल में भाग लेने वाले सैकड़ों खिलाड़ियों का नाम खराब नहीं हो सकता और नहीं होना चाहिए। कुछ लालची व्यक्तियों की वजह से आईपीएल की साख पर बट्टा नहीं लगाया जा सकता। ’’ यह पूछने पर कि टूर्नामेंट की विश्वसनीयता बरकरार रखने के लिये क्या कदम उठाये जाने चाहिए तो शुक्ला ने कहा, ‘‘भ्रष्टाचार रोधी इकाई को पुलिस एजेंसियों के साथ मिलकर काम करना चाहिए। ’’ उन्होंने कहा, ‘‘सट्टेबाजों पर नजर रखना पुलिस का काम है। दूसरा सुझाव है, जिसे मैंने पहले ही स्वीकार लिया है कि भ्रष्टाचार रोधी एवं सुरक्षा इकाई के एक अधिकारी को टूर्नामेंट के दौरान प्रत्येक टीम के साथ शामिल कर देना चाहिए क्योंकि वह एक गलत खिलाड़ी को पहचानने में कामयाब होगा। ’’ शुक्ला ने कहा, ‘‘तीसरा सुझाव है कि जो भी पकड़ा जाये, उसे कानून के मुताबिक कड़ी सजा दी जाये। इससे उन्हें सबक मिलेगा। अंतिम यह है कि खिलाड़ियों के अनुबंध में एक प्रावधान होना चाहिए कि कोई भी अगर भ्रष्टाचार में लिप्त पाया जाता है तो उस पर आपराधिक मुकदमा चलाना चाहिए। ’’

शुक्ला ने कहा कि भ्रष्टाचार रोधी गतिविधियां उनके दायरे में नहीं आती क्योंकि आईपीएल चेयरमैन के रूप में उनका काम टूर्नामेंट का आयोजन था। उन्होंने कहा, ‘‘भ्रष्टाचार रोधी गतिविधियां पूरी तरह से आईसीसी और बीसीसीआई की जिम्मेदारी है। यही कारण है कि आईसीसी और बीसीसीआई एसीएसयू आईपीएल पर नजर रख रहे थे। वे आईपीएल प्रमुख के दायरे में नहीं हैं तथा आईसीसी और बीसीसीआई का रिपोर्ट करते हैं।’’ इस प्रकरण के बाद बीसीसीआई ने तीन सदस्यीय समिति का गठन किया है जो बोर्ड प्रमुख एन श्रीनिवासन के दामाद और चेन्नई सुपरकिंग्स के टीम प्रिंसिपल गुरुनाथ मयप्पन पर लगे आरोपों की जांच कर रही है। मयप्पन को सट्टेबाजी के आरोप में गिरफ्तार किया गया है।

तीन सदस्यीय समिति मयप्पन के अलावा राजस्थान रायल्स के तीन खिलाड़ियों तथा इस फ्रेंचाइजी के खिलाफ भी स्पाट फिक्सिंग आरोपों की जांच कर रही है। कर्नाटक और मद्रास उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति टी जयराम चाउता, मद्रास उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति आर बालासुब्रहमण्यम और बीसीसीआई सचिव संजय जगदाले आयोग के सदस्य होंगे।

शुक्ला ने कहा, ‘‘मेरा नजरिया है कि तीन सदस्यीय आयोग की सिफारिशें मानने के लिए बीसीसीआई बाध्य होना चाहिए। इसकी जांच के नतीजों को बीसीसीआई की कार्य समिति के पास नहीं भेजा जाना चाहिए’’ उन्होंने कहा, ‘‘जहां तक श्रीनिवासन का सवाल है तो हमारा नजरिया है कि जांच लंबित रहने तक उन्हें खुद को पूरी प्रक्रिया से अलग कर देना चाहिए। उन्हें सभी तरह के कामकाज से दूर रहना चाहिए जिससे कि स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच को सके।’’ यह पूछने पर कि क्या उन्हें आईपीएल में स्पाट फिक्सिंग होने की कोई जानकारी थी, शुक्ला ने कहा, ‘‘अगर मेरे पास कोई सूचना होती जो मैं ऐसा नहीं होने देता। हमें कोई अंदाजा नहीं था कि ऐसा कुछ हो रहा है।

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