यूपी में 70 हजार से अधिक शिक्षकों की नौकरी पर खतरा
इलाहाबाद। सरकारी प्राथमिक और उच्च प्राथमिक स्कूलों के 70 हजार से अधिक शिक्षकों की नौकरी पर खतरा मंडरा रहा है। शिक्षक भर्ती में टीईटी के अंकों को वेटेज (अधिमान या वरीयता) दिए जाने को लेकर हाईकोर्ट में हाल ही में याचिकाएं होने के बाद से उन शिक्षकों की नींद उड़ी हुई है जिनकी नियुक्ति एकेडमिक रिकार्ड के आधार पर हुई है।
यूपी में 13 नवंबर 2011 को पहली बार टीईटी आयोजित होने से ठीक पहले तत्कालीन बसपा सरकार ने अध्यापक सेवा नियमावली 1981 में संशोधन करते हुए टीईटी मेरिट के आधार पर शिक्षकों की नियुक्ति का फैसला लिया था। हालांकि टीईटी में धांधली के आरोप और उसके बाद तत्कालीन माध्यमिक शिक्षा निदेशक संजय मोहन की गिरफ्तारी के बाद सपा सरकार ने पूरे प्रकरण की जांच मुख्य सचिव की अध्यक्षता में गठित कमेटी से कराई।
इसके बाद शिक्षकों की भर्ती एकेडमिक रिकार्ड के आधार किए जाने संबंधी नियमावली में संशोधन कर दिया। एकेडमिक रिकार्ड के आधार पर प्राथमिक स्कूलों में क्रमश: 9770, 10800, 10000, 15000 सहायक अध्यापकों, 4280 व 3500 उर्दू शिक्षकों और उच्च प्राथमिक स्कूलों में विज्ञान व गणित विषय के 29334 सहायक अध्यापकों की भर्ती हो चुकी है। जबकि एकेडमिक रिकाॠर्ड के आधार पर ही प्राथमिक स्कूलों में 16448 सहायक अध्यापकों की भर्ती चल रही है।
एनसीटीई के अनुसार राज्य को है अधिकार
नि:शुल्क एवं अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 लागू होने के बाद शिक्षक भर्ती के लिए टीईटी तो अनिवार्य कर दी गई। लेकिन टीईटी के अंकों को वरीयता देना या नहीं देना पूरी तरह से राज्य सरकार का अधिकार है। राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) ने पूर्व में कई आरटीआई के जवाब में यह बात कही है।
केवीएस में टीईटी वेटेज नहीं
केन्द्रीय विद्यालय संगठन और नवोदय विद्यालय संगठन के स्कूलों की शिक्षक भर्ती में टीईटी अंकों को वेटेज या वरीयता नहीं दी जाती। दिल्ली सरकार के स्कूलों में भी टीईटी अंकों को वेटेज नहीं दिया जाता।
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