बदलाव आम आदमी की भागीदारी से ही आता है : बराक ओबामा
अमेरिका के राष्ट्रपति के तौर पर मंगलवार को अपने आखिरी भाषण में बराक ओबामा ने बीते आठ साल की अपनी उपलब्धियां गिनाईं. शिकागों में हुए एक आयोजन में हुए उन्होंने माना कि उनका कार्यकाल सख्त, विवादपूर्ण और कुछ मायनों में निर्दयी रहा है. लेकिन, इसके साथ ही बराक ओबामा ने यह भी कहा कि वे व्हाइट हाउस को ज्यादा आशावादी माहौल में छोड़कर जा रहे हैं. उन्होंने खुद को एक बेहतर राष्ट्रपति बनाने के लिए अमेरिकी नागरिकों को धन्यवाद दिया.
लोकतंत्र को अमेरिका की ताकत बताते हुए बराक ओबामा ने कहा कि इसी वजह से रूस और चीन अमेरिका की जगह नहीं ले पाते. उन्होंने अमेरिकी नागरिकों से आशावादी सोच अपनाने और नेताओं पर देश की स्थापना के मूल्यों के हिसाब से काम करने के लिए दबाव बनाने की अपील भी की. ओबामा ने कहा, ‘हमारा डर को स्वीकार कर लेना लोकतंत्र को कमजोर कर सकता है, इसलिए हमें नागरिक के रूप में बाहरी हमलों को लेकर सावधान रहने के साथ उन मूल्यों की रक्षा भी करनी होगी जो हमारा अस्तित्व तय करते हैं.’ उन्होंने कहा कि देश में कोई भी बदलाव तभी आता है, जब आम आदमी उसमें शामिल हो और मिलकर बदलाव की मांग करे.
2016 के राष्ट्रपति चुनाव में दिखी राजनीतिक गिरावट और सामाजिक विभाजन पर चिंता जताते हुए उन्होंने अमेरिकी नागरिकों से इसे रोकने की अपील की. अमेरिका के निर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का नाम लिए बगैर उन्होंने कहा कि अमेरिका को अपने यहां मौजूद अप्रवासी बच्चों के लिए और ज्यादा जिम्मेदार होने की जरूरत है. ट्रंप राष्ट्रपति चुनाव के दौरान अप्रवासियों के खिलाफ सख्त बयान देते रहे हैं.
ओबामा ने कहा कि धार्मिक कट्टरता हर लिहाज से खतरनाक होती है और बॉस्टन और ऑरलेंडो में हुए हमले इसका उदाहरण हैं. हालांकि, उन्होंने इस बात पर संतोष जताया कि उनके कार्यकाल में एक भी आतंकी हमला नहीं हुआ है. उन्होंने आगे कहा कि आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट भी बर्बाद हो जाएगा, क्योंकि अमेरिका के खिलाफ बोलने वाला सुरक्षित नहीं रह सकता. हालांकि, बराक ओबामा ने यह भी कहा कि अमेरिका मुस्लिमों के साथ किसी तरह के भेदभाव के खिलाफ है.
भाषण के दौरान बराक ओबामा अपनी पत्नी मिशेल ओबामा और दोनों बेटियों को याद करते हुए भावुक हो गए. उन्होंने अपनी पत्नी और बच्चों को अपना अच्छा दोस्त बताया.
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