पांच संघीय उपचुनाव 3 अप्रैल को
औटवा। पांच रिक्त स्थानों को भरने के लिए उपचुनावों की घोषणा कर दी गई हैं, यह चुनाव 3 अप्रैल को होने सुनिश्चित किए गए हैं। इसकी घोषणा स्वयं प्रधानमंत्री जस्टीन ट्रुडो द्वारा की गई इन चुनावों में कंजरवेटिव पार्टी की दो सबसे अधिक सुरक्षित सीटों पर भी चुनाव आयोजित किए गए हैं जो हैं कालग्रे हैरीटेज जो पूर्व प्रधानमंत्री स्टीफन हार्पर का क्षेत्र हैं और कालग्रे मिडनापॉर यह क्षेत्र जेसन कीने का इलाका माना जा रहा हैं। जहां इस वर्ष कांटे की टक्कर होने का संकेत लग रहा है। इसके अलावा तीन प्रमुख सीटों में मॉन्ट्रीयल की सेंट-लाउरेन्ट, टोरंटो क्षेत्र में मार्कहम-थॉरनील और औटवा-वेनीयर निर्वाचन क्षेत्र शामिल किए गए। मारुली बेलानगर की अकास्मिक मृत्यु के पश्चात औटवा सीट के खाली होने के बाद प्रधानमंत्री जस्टीन ट्रुडो ने उपचुनावों की घोषणा कर दी हैं, ये चुनाव आगामी 3 अप्रैल को सुनिश्चित किए गए हैं, ज्ञात हो कि बेलानगर इस पद पर लिबरल पार्टी की ओर से गत 20 वर्षों से निर्वाचित थे, उनकी मृत्यु पिछले वर्ष अगस्त 2016 में हो गई थी। इस वर्ष होने वाले यह पहले चुनाव होंगे। सूत्रों के अनुसार इस माह के अंत तक ट्रुडो द्वारा कालग्रे हैरीटेज के भी उपचुनावों की घोषणा की जा सकती हैं, जहां से पूर्व प्रधानमंत्री स्टीफन हार्पर पिछले वर्ष सेवानिवृत्त हो गएं। जिसके कारण मार्च के अंत तक वहां उपचुनावों की तिथियों की घोषणा की जाएगी। गौरतलब हैं कि इस ग्रीष्म में, टोरंटो एरिया के मार्कहम-थ्रोनहिल पर रहे लंबे समय से लिबरल के जॉन मक्कॉलम द्वारा और दूसरी ओर लिबरल स्टीफन डायन द्वारा यूरोपियन संघ और जर्मनी के राजदूत बनने के कारण उनके पद रिक्त होने से वहां भी उपचुनावों की घोषणा की जा सकती हैं। सत्र के दौरान कंजरवेटिव सांसद गेररड डेलटेल ने अपने संबोधन में कहा कि इन क्षेत्रों के लोगों को अब फिर से मौका मिला हैं अपनी भावनाओं को व्यक्त करने का, जिस पार्टी ने अच्छा कार्य किया हो केवल उसी के उम्मीदवार को चुने, इस बार उन्हें नहीं चुना जाएं जिनका उद्देश्य केवल राजनीति में आकर अपना भविष्य सुधारना ही एकमात्र मकसद होता हैं। अन्य विपक्षियों का मानना हैं कि यह उपचुनाव अप्रत्याशित घोषित किए गए हैं, यह समय उचित नहीं था, और इसके लिए कोई यथाचित पूर्व घोषणा भी नहीं की गई जिसका उन्हें खेद है। इन पांच क्षेत्रों के इतिहास को देखा जाएं तो प्रथम दो क्षेत्रों में कंजरवेटिव का राज रहा हैं जिसे इस बार लिबरलस छीन सकते हैं ऐसी संभावना व्यक्त की जा रही हैं।
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