अमेरिका से सजातीय हमलों को घृणा अपराध मानने की अपील
वाशिंगटन। अमेरिका के 67 सांसदों ने न्याय मंत्रालय से अपील की है कि वह भारतीय-अमेरिकी समुदाय जैसे सजातीय अल्पसंख्यकों के खिलाफ होने वाले हमलों को घृणा अपराधों की तरह देखें। इसके साथ ही इन सांसदों ने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से उनकी ‘‘भड़काऊ भाषणबाजी’’ बंद करने के लिए कहा है। वरिष्ठ लोकतांत्रिक नेता जो क्राउले और भारतीय-अमेरिकी प्रमिला जयपाल के नेतृत्व में सांसदों ने शुक्रवार को प्रतिनिधि सभा में एक प्रस्ताव पेश किया और देश में हाल ही में हुई नस्ली हिंसा की घटनाओं की ओर इशारा किया। यह प्रस्ताव इन हमलों के पीड़ितों के प्रति सहानुभूति जताते हुए न्याय मंत्रालय से घृणा अपराधों की पूर्ण जांच के लिए कहता है और ट्रंप से उनकी उन नीतियों को खत्म करने के लिए कहता है, ‘‘जिन्होंने देशभर के समुदायों में डर का एक माहौल बना दिया है।’’ जयपाल ने कहा, ‘‘यह प्रस्ताव डोनाल्ड ट्रंप के घृणापूर्ण भाषणों और प्रवासियों एवं अश्वेत समुदायों के साथ ‘सौतेला’ बर्ताव करने के विरोध में है।’’ कांग्रेस सदस्या ने कहा, ‘‘नस्लवाद से प्रेरित हिंसक कृत्यों की संख्या ट्रंप के प्रचार के बाद से बढ़ गई है। ट्रंप ने पहले ही दिन से, प्रवासी समुदायों को आतंकियों एवं अपराधियों के तौर पर पेश करने के लिए चरमपंथी भाषणों का इस्तेमाल किया। इससे हिंसा के उन अर्थहीन कृत्यों में वृद्धि हुई है, जिनके लिए अमेरिका में कोई जगह ही नहीं है। न्याय मंत्रालय को कार्रवाई करनी चाहिए क्योंकि किसी को भी नस्लवाद से प्रेरित हिंसा के डर में रहने को मजबूर नहीं होना चाहिए।’’ सदन के डेमोक्रेटिक कॉकस के अध्यक्ष क्राउले ने कहा, ‘‘आज जो कुछ हम देख रहे हैं, वह विदेशी माने जाने वाले लोगों के खिलाफ हिंसा और व्हाइट हाउस से आने वाली प्रवासी-विरोधी भाषणबाजी और नीतियों का सैलाब है। यह जहरीला मिश्रण भारतीय-अमेरिकी समुदाय और वृहद दक्षिण एशियाई समुदाय में बड़े स्तर पर डर पैदा कर रहा है।’’ बीते दिनों भारतीय-अमेरिकी समुदाय के कई लोग अमेरिका में घृणा अपराधों का शिकार हुए हैं। यह प्रस्ताव कहता है कि हिंदुओं, मुस्लिमों, अरब, दक्षिण एशियाई लोगों, सिखों और यहूदी-अमेरिकियों के खिलाफ हमलों और धमकियों में वृद्धि हुई है।
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