बाहर खेलने से ठीक रहेंगी आखें
अगर आप चाहती हैं कि किशोरावस्था में पहुंचने के बाद आपके बच्चे की आखों की दृष्टि सही-सलामत रहे तो बचपन से ही उनमें बाहर खेलने की आदत डालें। एक अध्ययन से पता चला है कि बाहर खेलने वालों बच्चों में निकट दृष्टि दोष यानी मायोपिया की आशका कम होती है। यह पहला अध्ययन है, जिसमें बताया गया है कि बाहर खेलने से बच्चों की आखें सूरज की रोशनी के संपर्क में आती हैं, जिससे टीनएज में निकट दृष्टि दोष का खतरा काफी हद तक कम हो जाता है। लंदन स्थित ब्रिस्टल यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने इस अध्ययन को अंजाम दिया। प्रमुख शोधकर्ता डॉक्टर कैथी विलियम्स का कहना है कि अध्ययन के दौरान हमें इस बात के पुख्ता प्रमाण मिले कि बाहर खेलने वाले बच्चों की दृष्टि काफी तेज होती है। शोधकर्ताओं ने 7,000 बच्चों पर अध्ययन करने के बाद यह निष्कर्ष निकाला। शोध में शामिल सभी बच्चों की उम्र 7,10, 11, 12 और 15 वर्ष थी। एक महीने तक बच्चों को शारीरिक सक्रियता वाले कार्य दिए गए। कुछ बच्चों को घर के अंदर एक्सरसाइज करने को कहा गया, जबकि कुछ को बाहर जाकर खेलने-कूदने को कहा गया। कुछ वर्षों के बाद इन बच्चों आखों की जाच की गई तो शोधकर्ताओं ने पाया कि आठ से नौ साल के जिन बच्चों ने घर के बाहर खेलने में ज्यादा समय बिताया था, 15 साल की उम्र तक उनमें मायोपिया होने की आशका 50 फीसदी कम थी। इसके विपरीत घर के भीतर एक्सरसाइज करने वाले बच्चों में इसका खतरा अधिक था।
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