खुल गया 2019 का रास्ता
-रमेश ठाकुर- पाकिस्तान ने अखिलेश यादव का समर्थन कर उत्तर प्रदेश की आवाम से उनके पक्ष में वोट देने का आहवान करना भी उनकी हार का मुख्य कारण हो सकता है। सपा-कांग्रेस की यह हार उसी की संयुक्त प्रतिक्रिया है। भाजपा का जीतना पाक की नापाक चाल को संकेत है। हार के और भी कई कारण हो सकते हैं लेकिन देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश से भारतीय जनता पार्टी का 11 मार्च 2017 से वनवास खत्म हो गया। सत्ता में वापसी हो रही है। ऐसी वापसी जिसकी कल्पना खुद पार्टी ने भी नहीं की होगी। यूपी के इतिहास में अब तक की सर्वाधित सीटें जीतने का कारनाम भाजपा ने कर दिखाया है। पार्टी ने सभी विपक्षी राजनैतिक दलों को बुरी तरह से रौंद दिया है। सूनामी की बहाव में सबके सब बह गए हैं। यूपी के साथ-साथ उतराखंड में भी वापसी हो रही है। परिणाम आने के बाद विपक्ष के नेता एकदम शांत हैं उनके समझ में ही नहीं आ रहा है कि आखिर इतना बड़ा बदलाव हुआ कैसे। कैंपेन के समय जो रूझान उनके प़़क्ष में दिखाई दे रहा था, अचानक भाजपा के पाले में कैसे चला गया। रिजल्ट से मायावती इस कदर नाराज हुई कि उन्होंने सीधे नरेंद्र मोदी पर आरोप लगाते हुए कह दिया कि ईवीएम से छेड़छाड करके भाजपा ने चुनाव जीता है। उन्होंने चुनाव को निरस्त करने की मांग की है। पुराने तरीकों से चुनाव कराने की मांग भी कर डाली है। सवाल उठता है कि पाकिस्तान अखिलेश यादव का समर्थन क्यों कर रहा था। क्या उनके जरिए राज्य में घुसपैठ करना चाहता था। अगर ऐसी मंशा थी, तो उसको करारा जबाव मिल गया होगा। इस चमत्कारी जीत से एक बात साबित हो गई है कि तमाम तकलीफों को झेलने के बाद भी लोग मोदी सरकार के नोटबंदी के फैसले के साथ खड़े हैं। नोटबंदी के फैसले के बाद देश में कई जगहों पर उप-चुनाव व निकाय चुनाव हुए। हर जगह भाजपा को सफलता मिली। कुछ दिन पहले महाराष्ट्र में निकाय चुनाव हुए और उसके बाद चंडीगढ में, दोनों जगहों पर भारतीय जनता पार्टी को उनकी उम्मीद से ज्यादा सफलता मिली। इसलिए पूर्व की यह सफलताएं यह दर्शाने के लिए काफी है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नोटबंदी के निर्णय पर देश की जनता ने मुहर लगा दी है। लगातार हो रही भाजपा की जीत ने कार्यकर्ताओं के भीतर जमकर उत्साह भर दिया है। विपक्षी दल देश में भ्रम फैल रहे हैं कि नोटबंदी के बाद जनता प्रधानमंत्री से खफा है। उत्तर प्रदेश, उतराखंड में पूर्ण बहुमत का मिलना व दूसरे राज्यों में उम्मीद से ज्यादा सफलता हासिल करना भाजपा के लिए जनता ने 2019 के रास्ते खोल दिए हैं। मौजूदा जीत भाजपा के लिए तीन साल बाद होने वाले आम चुनाव के लिए संजीवनी का काम करेगी। भाजपा को दिल्ली में दोबारा से सरकार बनाने के लिए यूपी फतह करना पहली प्राथमिकता थी। यह जीत उनको दिल्ली जीतने के लिए आसान बनाएगी। नोटबंदी को लेकर कुछ समय से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व उनकी पार्टी भाजपा पर विपक्ष चौतरफा प्रहार कर रहा था। मोदी के हर फैसले को विपक्षी पार्टियां तानाशाही व जबरन थोपने वाला फैसला करार दे रही थीं। जनता का मोह पीएम से हटे इसके लिए विपक्ष हर हथकंडे अपना रहा था। लेकिन सब बेअसर साबित हुआ। मौजूदा जीत ने विरोधियों का मनोबल और तोड़ कर रख दिया है। जनता ने अपने ही अंदाज में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नोटबंदी के कदम पर मुहर लगाई है। पिछले एक साल के भीतर देश के अलग-अलग हिस्सों में हुए सभी चुनावों में जनता ने विपक्ष को यह अच्छे से समझया है कि जनता का मूड क्या है और राजनीति की दिशा क्या है। यूपी-उतराखं डमें प्रचंड बहुमत मिलने भारतीय जनता पार्टी की अभूतपूर्व विजय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के विजन और भाजपा की काम करने की राजनीति में देश की जनता की अटूट आस्था और विश्वास का एक और उदाहरण है। पांच राज्य के आए परिणामों से हर एक पार्टी की छेछालेदर हो गई है। उनके नेताओं को कुछ कहते भी नहीं बन रहा। कांग्रेस ने अपनी करारी हार को स्वीेकार तो कर लिया, पर इसे नोटबंदी का असर मानने को तैयार नहीं है। 403 में 324 सीटें जीतने का मतलब है एक तरफा जीत। कांग्रेस को खुद इस बात का अंदाजा नहीं था कि उनकी इतनी बुरी हार होगी। भाजपा को भी इस बात का इल्म नहीं था कि इतनी बड़ी सफलता हासिल होगी। मोदी का मैजिक यूपी चुनाव में चलेगा, इसका आभास सोनिया गांधी और मुलायम सिंह यादव को शायद हो गया था। तभी तो ये दोनों नेता चुनाव प्रचार से दूर रहे। मुलायम सिंह की राजनीति यूपी से ही शुरू होती है, बावजूद इसके वह दूर रहे हैं। रिजल्ट के वक्त सोनिया गांधी हिंदुस्तान में भी नहीं रही, विदेश में थी। मतलब साफ था उनको रूचि थी ही नहीं। चुनाव प्रचार के वक्त नोटबंदी को लेकर विपक्ष पीएम के खिलाफ लोगों को भड़का भी रहे थे। वाबजूद इसके प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्त्व में केंद्र की भाजपा सरकार की विकासोन्मुखी नीतियों का जनता ने समर्थन किया। नोटबंदी के फैसले के बाद संपन्न हुए राजस्थान, गुजरात और महाराष्ट्र के स्थानीय निकाय के चुनावों और विधान सभा एवं लोक-सभा उप-चुनावों के परिणाम से यह स्पष्ट हो गया था, कि विपक्ष नोटबंदी के फैसले का राजीतिकरण करना चाहता है और इस पर राजनीति कर रहा है। चुनाव परिणाम से हताश होके बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की सुप्रीमो मायावती ने चुनाव परिणाम के बाद मुख्य चुनाव आयोग को चिट्ठी लिखी है। उन्होंने भाजपा पर ईवीएम से छेड़छाड़ करने का आरोप लगाया है। आरोप है कि ईवीएम पर लोगों ने चाहे किसी भी दल के निशान पर बटन दबाया हो लेकिन ईवीएम ने सिर्फ भाजपा को ही वोट दिया। मायावती ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह को चुनौती दी है कि अगर उनमें हिम्मत है तो वो यूपी विधानसभी चुनाव रद्द कराकर फिर से चुनाव कराएं। मायावती ने कहा कि अगर मोदी और अमित शाह दूध के धुले हैं तो बैलेट पेपर से फिर से चुनाव करा लें, सही स्थिति सामने आ जाएगी। इसके साथ ही मायावती ने कहा कि उन्होंने इस बारे में चुनाव आयोग को पत्र लिखा है कि लोगों को अब ईवीएम मशीन में भरोसा नहीं रह गया है। दरअसल यह हार की बौखलाहट है। उनको अंदाजा नहीं था कि इस कदर हार होगी। बसपा को छोड़कर कांग्रेस-सपा व अन्य पार्टियों को तो पता था कि अंजाम किया होगा। मोदी सूनामी का एहसास हो चुका था।
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