कैनेडा समेत 10 अन्य देश नए टीपीपी व्यापार समझौते पर बढ़ेगे आगे 

टोरंटो। ट्रान्स पैसेफिक समझौते के नए मूल्यांकन में 10 अन्य देशों ने कैनेडा के साथ अपनी सहमति जताई हैं, गत जनवरी में अमेरिका द्वारा इस व्यापारिक समझौते से अलग होने की घोषणा के पश्चात कुछ देशों में भय का माहौल पैदा हो गया था, परन्तु कैनेडा और साथी देशों के अथक प्रयासों से अन्य देश इस मिशन से जुड़ रहे हैं, और आज इन देशों की संख्या 10 से अधिक हो गई हैं। गौरतलब हैं कि ट्रंप ने स्पष्ट कर दिया है कि अमेरिका 12 सदस्यीय टीपीपी व्यापार समझौते से अलग हो जाएगा। इसके स्थान पर वह द्विपक्षीय समझौते को वरियता देंगे, जिससे देश में रोजगार के अवसर बढ़ेंगे। ओबामा ने इस पर हस्ताक्षर किए हैं, लेकिन सीनेट से अभी इसे मंजूरी नहीं मिली है। अन्य भागीदार देशों ने भी अलग-अलग इसे मंजूरी नहीं दी है। ट्रंप इसको ‘आपदा’ करार दे चुके हैं। उन्होंने कहा, ”मेरा एजेंडा ‘अमेरिका फर्स्ट’ की नीतियों पर आधारित होगा। फिर चाहे वह स्टील का उत्पादन, कारों का निर्माण, बीमारियों से निपटने के तरीके हों या अगली पीढ़ी की नई खोज, ये सब पहले अमेरिका में होना चाहिए। इससे अमेरिकी कामगारों के लिए नौकरी के अवसर बढ़ेंगे और देश में संपन्नता आएगी। हमारी सरकार भेदभाव रहित द्विपक्षीय समझौता करेगी, ताकि उद्योग धंधे फिर से अमेरिका लौटे।” ट्रंप के वीडियो संदेश से पहले जापान के प्रधानमंत्री शिंजो एबी ने कहा कि अमेरिका के बिना टीपीपी अर्थहीन है। जर्मनी की चांसलर एंजेला मर्केल ने कहा कि वो ट्रंप के टीपीपी पर दिए बयान से खुश नहीं है। समझौते के अधिकारियों ने अपने संबोधन में कहा कि अमेरिका के इस व्यापार समझौते के अलग होने से इस मिशन पर कोई असर नहीं पड़ेगा, हनोई में आयोजित एशिया-पैसेफिक इकॉनोमिक कॉन्फ्रैन्स (एपीईसी) में इन 10 देशों के वरिष्ठ आर्थिक अधिकारियों ने अपनेे विचार रखें। इस मिशन में आस्ट्रेलिया, मलेशिया, मैक्सिको और सिंगापुर जैसे देशों के शामिल होने से इसकी लोकप्रियता और अधिक बढ़ जाएगी। ज्ञात हो कि पिछले वर्ष नवम्बर में वियतनाम में हुई इस कॉन्फ्रैन्स में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प, रुसी राष्ट्रपति वेल्डमीर पुतिन और चीनी राष्ट्रपति एक्सीं जींपींग ने अपनी उपस्थिति दर्ज करवाई थी। अमेरिका के इस व्यापारिक समझौते से बाहर होने का प्रतिकूल असर पड़ा, जिसके कारण जापान और न्यूजीलैंड ने भी अपने हाथ पीछे ले लिए, परन्तु कुछ समय पश्चात अन्य देशों को इसके लाभ के बारे में पता चला, तो वह भी इससे जुड़ रहे हैं। भविष्य में इसके लाभ सभी देशों को अनुकूल मिलेंगे।
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