कोल घोटाला: अब पीएम के सलाहकार से पूछताछ की तैयारी

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट की निगरानी के बाद कोयला घोटाले की जांच में सक्रिय सीबीआइ ने दिल्ली की इस्पात कंपनी राठी स्टील एंड पावर लिमिटेड पर शिकंजा कस दिया है। झूठे दावों और दस्तावेजों के सहारे 2008 में कोयला ब्लॉक हासिल करने के आरोप में एफआइआर दर्ज करने के बाद बुधवार को जांच एजेंसी ने कंपनी के दिल्ली, गाजियाबाद और ओडिशा के ठिकानों पर छापा मारा। कोयला घोटाले में सीबीआइ की यह 13वीं एफआइआर है।
सीबीआइ के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि कोयला ब्लॉक पाने के लिए कंपनी ने झूठे दावे किए थे। साथ ही इसके लिए फर्जी दस्तावेज भी जमा कराए थे। उनके अनुसार कंपनी ने 250 एकड़ जमीन होने का दावा किया था, जबकि उसके पास केवल 150 एकड़ जमीन ही थी। इसी तरह कंपनी ने अपनी सालाना उत्पादन क्षमता के बारे में भी झूठा दावा किया था। इन झूठे दावों और बेहतर कंपनियों की मौजूदगी के बावजूद इसे छत्तीसगढ़ के कोरबा में स्थित केसरा नॉर्थ कोल ब्लॉक आवंटित कर दिया गया। सीबीआइ ने कंपनी के साथ-साथ उसके सीईओ उदित राठी को भी आरोपी बनाया है।
इस बीच, राठी स्टील ने कुछ भी गलत करने से इन्कार किया है। कंपनी के अध्यक्ष (वाणियिक) वाईके अग्रवाल ने बताया कि ओडिशा सरकार ने कंपनी को 250 एकड़ जमीन देने का वादा किया था। कंपनी को पूरी जमीन नहीं मिल पाई है। हालांकि, इसकी प्रक्रिया जारी है। इस समय कंपनी के पास 180 एकड़ जमीन है।
अग्रवाल ने बताया कि नवंबर-दिसंबर, 2012 में सीबीआइ को मांगी गई जानकारी उपलब्ध करा दी गई थी। वर्ष 2006 से 2009 के बीच हुए इस घोटाले के संबंध में सीबीआइ प्रधानमंत्री कार्यालय के दो वरिष्ठ अधिकारियों से पूछताछ कर चुकी है। इसके अलावा पूर्व कोयला सचिव एचसी गुप्ता से गुरुवार को पूछताछ करने वाली है।
जांच एजेंसी प्रधानमंत्री के सलाहकार टीके नायर से भी पूछताछ करने की तैयारी में है। पिछले साल नियंत्रक व महालेखा परीक्षक (कैग) ने अपनी रिपोर्ट में कोयला ब्लॉक आवंटन में एक लाख 86 करोड़ रुपये के घोटाले का खुलासा किया था। इसके बाद इसकी जांच सीबीआइ को सौंपी गई थी।

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