केदारनाथ धाम: ऐसा जख्म जिसे भरने में लगेंगे बरसों
हल्द्वानी- उत्तराखंड में कुदरत की तबाही के बाद अब धीरे-धीरे वहां का दर्दनाक मंजर सामने आने लगा है। देवभूमि में प्राकृतिक आपदा का सबसे यादा असर केदारनाथ धाम पर पड़ा है। जिस केदारनाथ धाम को बसाने में सैंकड़ों साल लग गए, जहां आम दिनों में चहल-पहल रहती थी वहीं आज मुर्दानी सन्नाटा पसरा हुआ है। सन्नाटे को कभी हेलीकॉप्टर की आवाज तो कभी राहत कार्य में जुटे जवानों की आवाज चीरती है। जहां भी थोड़ी सी जिंदगी बचे होने की आस दिखती है, जवान उधर दौड़ पड़ते हैं।
उत्तराखंड में आई भीषण बारिश और बाढ़ की तबाही के इस मंजर को लोग वर्षो तक नहीं भूल पाएंगे। जिस तरह से एक ही पल में कुदरत ने बसी बसाई देवभूमि को तहस-नहस किया है उसके बाद ये तो साफ है कि उस आशियाने को दोबारा से बसाने में काफी वक्त लगेगा। मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा ने भी केदारनाथ की जो तस्वीर देखी उसके बाद उन्होंने साफ कह दिया कि आगामी एक साल तक केदारनाथ की यात्रा बंद रहेगी। मलवे में तब्दील हुए इस गांव को बसाने में कई साल लग जाएंगे।
इधर, खबर आ रही है कि सेना को केदारनाथ में राहत-बचाव कार्य शुरू करने और मलवा हटाने का काम शुरू करने में दिक्कतें आ रही हैं। गौरतलब है कि सेना के छह हजार जवान आज भी हिमाचल और उत्तराखंड में फंसे 60 हजार से अधिक लोगों को बाहर निकालने में जुटे हुए हैं। फिलहाल गढ़वाल मंडल के सर्वाधिक प्रभावित जिलों रुद्रप्रयाग, चमोली और उत्तरकाशी में चल रहा बचाव अभियान यात्रियों पर फोकस है। साठ हजार से यादा स्थानीय आबादी अभी भी राहत के इंतजार में है। प्रभावित इलाकों में बिजली-पानी की आपूर्ति ठप है तो संचार व्यवस्था ध्वस्त है।
कुदरत के कहर में पत्नी को खो चुके राजस्थान निवासी कल्याण सिंह केदारनाथ के उस खौफनाक मंजर को याद करके कांप जाते हैं। वह बताते हैं कि केदारनाथ में सब-कुछ तबाह हो गया है। हर जगह मौत का सन्नाटा पसरा हुआ है। भूख-प्यास व ठंड से लोगों की सांसें भी साथ छोड़ रही हैं।
मूल रूप से गांव महौली जिला करौली [राजस्थान] के रहने वाले कल्याण सिंह ने बताया कि 30 यात्रियों के दल में वह पत्नी मालती देवी के साथ केदारनाथ के दर्शन को आए थे। मगर, केदारनाथ में प्रकृति के कहर से उनकी पत्नी उस जल प्रलय में समा गई। वह मेरी जिंदगी थी, लेकिन अब सिवाय यादों के कुछ नहीं बचा।
उन्होंने बताया कि शनिवार को वह केदारनाथ के समीप भरतपुर हाउस धर्मशाला में पानी से बचने के लिए ऊपरी मंजिल पर चढ़ रहे थे। उनके पीछे पत्नी मालती और दो अन्य लोग भी तेजी से सीढिय़ां चढ़ रहे थे। तभी पानी का सैलाब दूसरी मंजिल तक पहुंच गया। उफान ने मालती और दो अन्य लोगों को अपनी चपेट में ले लिया और देखते ही देखते मालती व दो अन्य लोग पानी में समा गए। मदद को आगे बढऩे का समय भी कुदरत ने नहीं दिया। उन्होंने किसी तरह ऊपरी मंजिल में जाकर जान बचाई।
कल्याण सिंह बुधवार को हेलीकॉप्टर की मदद से जौलीग्रांट एयरपोर्ट पहुंचे हैं। तबाही को बयां करते कल्याण सिंह ने बताया कि उनके सामने भूख, प्यास व ठंड से एक यात्री ने दम तोड़ दिया, मगर वह असहाय थे। केदारनाथ में हर तरफ मौत का मंजर है। शवों की गिनती करना मुश्किल है।
इतिहास के आइने में केदारनाथ धाम: रुद्रप्रयाग जनपद में मंदाकिनी नदी के किनारे केदारनाथ धाम देश के 12 योतिलिंगों में विशिष्ट है। स्कंद पुराण में भगवान शंकर माता पार्वती से कहते हैं, हे प्राणेश्वरी! केदारखंड मेरा चिरनिवास होने के कारण भूस्वर्ग के समान है। शिव महापुराण की कोटिरुद्र संहिता में द्वादश योतिर्लिगों की कथा विस्तार से कही गई है।
कथा है कि महाभारत युद्ध के बाद पांडव पापों का प्रायश्चित करने केदारनाथ पहुंचे और शिव की घोर तपस्या की। उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव बैल के रूप में प्रकट हुए। तब से यहां बैल रूपी शिव की पूजा होती चली आ रही है।
गिरिराज हिमालय की केदार नामक चोटी पर अवस्थित है देश के बारह योतिर्लिगों में सर्वोच केदारनाथ धाम। कहते हैं कि समुद्रतल से 11746 फीट की ऊंचाई पर केदारेश्वर ज्योतिर्लिग के प्राचीन मंदिर का निर्माण पांडवों ने कराया था। पुराणों के अनुसार केदार महिष अर्थात भैंसे का पिछला अंग (भाग) है। मंदिर की ऊंचाई 80 फीट है, जो एक विशाल चबूतरे पर खड़ा है। मंदिर के निर्माण में भूरे पत्थरों का उपयोग किया गया है।
इस बीच, केंद्र ने उत्तराखंड की ओर अपनी मदद का हाथ बढ़ाया है। केंद्र ने उत्तराखंड के लिए हजार करोड़ की राहत राशि देने का ऐलान किया है। पीएम मनमोहन सिंह और सोनिया गांधी ने उत्तराखंड की विभीषिका को अपनी आंखों से देखने के बाद राय सरकार को 1000 करोड़ रुपये की केंद्रीय सहायता की घोषणा की है। 145 करोड़ रुपये तत्काल जारी भी कर दिए गए।
राहत सामग्री तत्काल पहुंचाने के लिए वायुसेना का मालवाहक विमान भी लगाया गया है। संप्रग अध्यक्ष सोनिया गांधी के साथ बुधवार को प्रभावित इलाकों का दौरा करने के बाद प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा, विभिन्न इलाकों में फंसे लोगों को बाहर निकालने और जरूरतमंदों तक राहत सामग्री पहुंचाना सरकार की पहली प्राथमिकता है। संप्रग अध्यक्ष के साथ मैंने आज जो देखा, वह अत्यंत पीड़ादायक था। प्राकृतिक आपदा में अभी तक सौ से यादा लोगों के मरने की पुष्टि हो चुकी है, लेकिन प्रधानमंत्री ने यह आंकड़ा और अधिक होने की आशंका जताई।
केवल केंद्र ही नहीं बल्कि उत्तराखंड और हिमाचल में कुदरत के पीडि़तों को मदद देने के लिए दिल्ली सरकार भी आगे आई है। दिल्ली सरकार ने जबदस्त बरसात के बाद मची तबाही से निपटने के लिए उत्तराखंड सरकार को 10 करोड़ रुपये की सहायता देने का फैसला किया है। मुख्यमंत्री शीला दीक्षित ने बुधवार को इस आशय की घोषणा की।
आपदा की इस घड़ी में पूरा देश इस राय के साथ खड़ा है। मुसीबत में फंसे हजारों स्थानीय निवासियों और यात्रियों को सुरक्षित बाहर निकालने के लिए बुधवार को कुछ और रायों ने आर्थिक मदद देने की घोषणा की। उत्तर प्रदेश ने 25 करोड़, महाराष्ट्र ने दस करोड़ और गुजरात ने दो करोड़ रुपये दिए। जबकि पंजाब, छत्तीसगढ़ व कर्नाटक ने प्रभावित लोगों की मदद के लिए हेलिकॉप्टर के साथ सरकारी मशीनरी वहां भेजी। गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट कर चिंता जताई कि उत्तराखंड में भारी बारिश से जो विनाश का मंजर नजर आ रहा है, वह दिल दहलाने वाला है।
वहीं, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने बचाव कार्यो को लेकर वहां के मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा से फोन पर बातचीत की। पंजाब के मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल ने पहाड़ों में फंसे राय के तीर्थयात्रियों को सकुशल बाहर निकालने के लिए निजी हेलिकॉप्टर भेजे हैं। इसी तरह कर्नाटक ने भी दो हेलिकॉप्टर के साथ राहत टीम भेजी है। छत्तीसगढ़ सरकार ने भी मदद को हाथ बढ़ाए हैं। देहरादून पहुंचे मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अधिकारियों से बातचीत कर केदारनाथ तथा अन्य स्थानों पर फंसे यात्रियों के संबंध में जानकारी ली। वहीं पश्चिम बंगाल के परिवहन मंत्री मदन मित्र व नियोजन मंत्री रजपाल सिंह भी यहां पहुंचे। मालूम हो कि इससे पहले हरियाणा ने दस करोड़, मध्य प्रदेश ने पांच करोड़ और राजस्थान ने भी दो करोड़ की मदद देने की घोषणा की थी।
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