‘मीडिया-विरोधी’ प्रस्ताव पर मत देने में ब्रैम्पटन काउंसिल कर रही हैं देरी
ब्रैम्पटन। चुनाव अधिकारियों के कार्यों में मीडिया द्वारा जांच के भावनी ब्रैम्पटन सिटी काउन्सिल प्रस्ताव पर मत देने का विवाद गहराता जा रहा हैं। जिसमें देरी होने के कारण नेताओं, नागरिकों और मीडिया संस्थाओं का पूरे कैनेडा में नाम खराब हो रहा हैं। अब काउन्सिल की सभा को आगे बढ़ाकर 21 जून कर दिया गया हैं, जिसमें यह फैसला लिया जाएगा कि इस प्रस्ताव पर काउन्सिल मत देगा या नहीं, प्रैस को इस जांच कार्य से बाहर रहने के निर्णय को लेकर काउन्सिल दो गुटों में बट गया हैं। जिसके कारण पूरे कैनेडा में इससे संबंधित नेताओं, निवासियों और मीडिया संस्थाओं की भारी बदनामी हो रही है।काउन्सिलर गुरप्रीत ढिल्लन ने कहा कि इस प्रकार का प्रस्ताव मैनें पहली बार देखा, उन्हें इस प्रस्ताव को पारित करने से पूर्व सभी कानूनी बाते सबके सामने रखनी चाहिए जिससे सभी उनकी बातों से संतुष्ट हो सके। चील मीडिया द्वारा उठाए एक प्रशन के जवाब में कमेटी ऑफ काउन्सिल ने प्रस्ताव को स्थगित कर दिया था जिसमें चुनाव अधिकारियों से प्रशन पूछने की इजाजत मांगी गई थी बल्कि वे वहां से उठकर चले गए, जबकि प्रांतीय काउन्सिलर गेल माइल्स ने उस सभा में भाग ही नहीं लिया। काउन्सिलर अब अपनी अगली सभा 21 जून को आयोजित करेंगे, देखना यह हैं कि उसमें क्या फैसला लिया जाता हैं। मीडिया के प्रति इस प्रकार के प्रस्ताव की भावना अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की टिप्पणी के पश्चात आई। गौरतलब हैं कि अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने देश की मीडिया को झूठी खबरें गढ़ने वाली मीडिया (फेक न्यूज मीडिया) ठहराते हुए उसपर बेबुनियाद खबरें प्रकाशित करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि प्रेस इतना नीचे कभी नहीं गिरा। उल्लेखनीय है कि ट्रंप लगातार देश की मीडिया पर उनकी सरकार से संबंधित गलत खबरें प्रकाशित करने का आरोप लगाते रहे हैं। सेसंस की गवाही साल 2016 में हुए राष्ट्रपति चुनाव के लिए ट्रंप के चुनाव प्रचार तथा चुनाव में रूस की दखलंदाजी को लेकर संघीय जांच ब्यूरो (एफबीआई) के पूर्व निदेशक जेम्स कोमे की पेशी के बाद सामने आई है। सेसंस को चुनाव प्रचार अभियान के दौरान रूसी अधिकारियों के साथ समझौता तथा कोमे को पद से हटाने में उनका हाथ था या नहीं, इसे लेकर सवालों का सामना करना पड़ सकता है। अब सबकी निगाहें अगले हफ्ते होने वाली बैठक पर टिकी हुई हैं, जहां इस प्रस्ताव पर निर्णय होगा कि मीडिया अधिकारियों के कार्यों में संवीक्षा करें या नहीं।
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