भ्रष्टाचार और कालेधन के खिलाफ जारी रहेगी जंग : पीएम
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भ्रष्टाचार और कालाधन के खिलाफ लड़ाई जारी रखने की सरकार की प्रतिबद्धता जताते हुए आज कहा कि सरकार के इस दिशा में उठाए गए कदमों से देश में ईमानदारी का उत्सव मनाया जा रहा है और बेईमानी को सिर छुपाने की जगह नहीं मिल रही है। उन्होंने यह भी कहा कि अप्रत्यक्ष कर क्षेत्र में जी.एस.टी. का क्रियान्वयन सफल रहा है और करोड़ों लोगों को इसका लाभ मिला है। इतने कम समय में जी.एस.टी. का लागू होना देश के लिए गर्व की बात है। जी.एस.टी. के बाद राज्यों की सीमाओं से चेक पोस्ट हटे हैं जिससे माल लाने ले जाने में लगने वाले समय में 30 प्रतिशत तक कमी आई है।
नोटबंदी पर मिला देश का साथ
स्वतंत्रता दिवस पर यहां लालकिले की प्राचीर से राष्ट्र को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘भ्रष्टाचार के खिलाफ हमारी लड़ाई जारी रहेगी। भ्रष्टाचार के खिलाफ जारी लड़ाई में 800 करोड़ रुपए के बेनामी संपत्ति जब्त की गई है।’’ उन्होंने कहा कि सरकार जो कहती है उसे संकल्पबद्ध होकर करती है। ‘‘हमने साक्षात्कार खत्म करने की बात की, उसे किया। व्यापारियों के लिए प्रक्रिया सरल बनाई गई है।’’ प्रधानमंत्री ने नोटबंदी का जिक्र करते हुए कहा कि इस कार्य में 125 करोड़ देशवासियों ने पूरा साथ दिया। नोटबंदी से भ्रष्टाचार पर नकेल कसने में सफल रहे। ‘‘नोटबंदी से 3 लाख करोड़ रुपए का कालाधन बैंकों में आया और करीब 1.75 लाख करोड़ रुपए की राशि जांच के घेरे में है।’’
मुखौटा कंपनियां पर किया कड़ा प्रहार
नोटबंदी के बाद आंकड़ों की जांच पड़ताल से पता चला कि देश में तीन लाख मुखौटा कंपनियां चल रही थी। एक ही पते पर 400 कंपनियां थी। पूरी तरह से मिलीभगत चल रही थी। देश का माल लूटने वालों को अब जवाब देना होगा। उन्होंने कहा कि नोटबंदी से करोड़ों रुपए का कालाधन बैंकों में आया जिससे अब ब्याज दर कम हो रही है। ब्याज दरें घटने से आम आदमी को सस्ता कर्ज मिल रहा है।
कश्मीर में स्थायी शांति के लिए नए कदम का संकेत!
आतंकवाद और अलगाववाद से जूझ रहे कश्मीर में क्या सरकार ने अपने अगले कदम का संकेत दे दिया है? स्वतंत्रता दिवस पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संबोधन पर गौर करें, तो झलक मिलती है। पिछले एक साल के दौरान अलगाववादियों और आतंकियों पर काफी हद तक लगाम लगाने के बाद प्रधानमंत्री ने आम कश्मीरियों को गले लगाकर समस्या के स्थायी हल निकालने की अपील की। इसका अर्थ वार्ता है यह तो नहीं कहा जा सकता है लेकिन कश्मीर में राजनीतिक दलों से लेकर नरमपंथी अलगाववादी तक ने प्रधानमंत्री के इस बयान का स्वागत किया है। दरअसल कश्मीर में सुरक्षा बलों ने पिछले कुछ महीने में बड़े आतंकियों को मार गिराया है और सभी आतंकियों को समाप्त करने के लिए ‘आपरेशन ऑल आउट’ चला रही है। यह स्पष्ट संकेत था कि जो केवल गोली की भाषा समझते हैं उनसे सख्ती से ही निपटा जाएगा। दूसरी ओर, जांच एजेंसियों को पाकिस्तान से आतंकी फंडिंग हासिल करने वाले हुर्रियत नेताओं को गिरफ्तार कर इसके रास्ते बंद करने में अहम सफलता मिली है। हालत यह है कि एक साल पहले कश्मीर के सामान्य जनजीवन को अस्तव्यस्त करने वाले आतंकी और अलगाववादी आज बैकफुट पर हैं। अब तीसरा कदम है।
प्रधानमंत्री के कश्मीरियों को गले लगाकर समस्या के समाधान की बात करने को अहम माना जा रहा है। कश्मीर में स्थायी शांति का रास्ता सुझाते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि ‘ये समस्या ना गाली से सुलझेगी, ना ही गोली से सुलझेगी ,ये समस्या सुलझेगी तो सिर्फ हर कश्मीरी को गले लगाने से ही सुलझेगी।’ दरअसल यह वक्त है कि हर कश्मीरी अहसास करे कि विकास ही उन्हें आगे बढ़ा सकता है। प्रधानमंत्री के इस बयान को कश्मीरी के राजनीतिक दलों ने स्वागत भी किया है। मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती और विपक्ष के नेता उमर अब्दुल्ला ने इसकी सराहना की है। यही नहीं, नरमपंथी हुर्रियत नेता मीरवाइज फारूख ने भी कहा कि यदि गोलियों और गालियों की जगह मानवता और न्याय लेता है, जो कश्मीर समस्या का स्थायी हल निकल सकता है। महबूबा मुफ्ती ने कहा कि उनकी पार्टी पीडीपी ने 15 साल पहले ही ‘बंदूक से ना गोली से, बात बनेगी बोली से’ का नारा दिया था।
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