कृष्ण-सुदामा हैं प्रेम का संदेश
प्रेम का संदेश भगवान कृष्ण-सुदामा हैं। वस्तुत: भगवान ने सुदामा की दरिद्रता को दूर किया, यदि सुदामा-सा मन हो तो मनमोहन अवश्य मिलेंगे।
भगवान मुरली मनोहर परब्रह्म परमात्मा हैं। उनकी महिमा का ज्ञान हो जाने पर उनमें प्रीति और अधिक बढ़ जाती है। प्रेम और परमात्मा एक-दूसरे के पूरक हैं। भक्ति ईश्वर की कृपा से प्राप्त होती है।
भारतीय संस्कृति और धर्म साधनाओं के क्षेत्र में श्रीमद्भागवत पुराण एक कालजयी ग्रंथ माना जाता है। वैष्णव आचार्य इसे पंचम वेद मानते हैं।
भागवत को भगवान कृष्ण का साक्षात विग्रह माना जाता है। श्रीमद्भागवत मुरलीधर कृष्ण की लीलाओं का सुंदर अनुगायन है।
अत: श्रद्धा के साथ श्रीमद्भागवत का वाचन एवं श्रवण करने से तीनों लोकों की सम्पदा भक्त के अधीन हो जाती है। भगवान की माया को बड़े-बड़े ऋषि-मुनि भी नहीं समझ पाए हैं। भगवान सिर्फ प्रेम के वशीभूत होते हैं।
अगर व्यक्ति दुनिया को सुधारने की अपेक्षा स्वयं को सुधारने में समय लगाए तो निश्चित ही हमें भगवान कृपा प्राप्त हो सकती है। जीवन में दो बातों को कभी भी विस्मृत नहीं किया जा सकता, एक ईश्वर व दूसरा मृत्यु।
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