अंतर्राष्ट्रीय विकासशील देश वृद्धि का मुख्य इंजन हैं: शी चिनफिंग
चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने आज कहा कि उभरते बाजारों की अर्थव्यवस्थाएं और विकासशील देश दुनिया की आर्थिक वृद्धि का मुख्य इंजन बन गए हैं। उन्होंने घोषणा की चीन ऐसे देशों के लिए 50 करोड़ डॉलर की मदद मुहैया कराएगा। चिनफिंग ने यह घोषणा यहां ब्रिक्स देशों के 9वें शिखर सम्मेलन से इतर चीन की ब्रिक्स प्लस पहल बैठक के दौरान की। इसमें भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अलावा मिस्र, जिनीवा, मेक्सिको, ताजिकिस्तान और थाईलैंड के राष्ट्रप्रमुख शामिल थे। उभरते बाजार और विकासशील देशों के संवाद को संबोधित करते हुए चिनफिंग ने कहा, ‘‘मेरी इच्छा है कि चीन दक्षिण-दक्षिण सहयोग (वैश्विक स्तर पर दक्षिणी देश) के लिए 50 करोड़ डॉलर की सहायता उपलब्ध कराए। ’’उन्होंने कहा कि यह राशि इन देशों में बाढ़, शरणार्थी, जलवायु परिवर्तन, लोक स्वास्थ्य और अन्य चुनौतियों से निपटने में मदद करेगी। चीनी राष्ट्रपति चिनफिंग ने कहा, ‘‘इस संवाद में विभिन्न क्षेत्रों से विकासशील देशों के कुछ प्रतिनिधियों को आमंत्रित करने का मकसद विकासशील साझेदारियों के लिए एक बड़ा नेटवर्क बनाना और साझा भविष्य एवं साझा विकास के लिए एक समुदाय का निर्माण करना है।’’ चिनफिंग ने सतत विकास लक्ष्य 2030 को लागू करने के लिए उभरती अर्थव्यवस्थाओं और विकासशील देशों के बीच मजबूत एकजुटता और सहयोग का आहवान किया। उन्होंने कहा कि वैश्विक आर्थिक व्यवस्था में विकासशील देशों और उभरते बाजारों की आवाज को पहचान दिलाने और प्रतिनिधित्व बढ़ाने के लिए प्रयास किए जाने चाहिए। चिनफिंग ने कहा कि दुनिया की आर्थिक वृद्धि के लिए उभरते बाजारों की अर्थव्यवस्थाएं और विकासशील देश मुख्य इंजन हैं। अपने संबोधन में उन्होंने अपनी ‘बेल्ट एंड रोड’ (बीआरआई) पहल का भी जिक्र किया जिसके तहत 50 अरब डॉलर की लागत से चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (सीपीईसी) का निर्माण किया जाना है। उल्लेखनीय है कि यह गलियारा पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर से गुजरता है जिस पर भारत को एतराज है।बीआरआई के समर्थन के लिए चीन ने इस साल मई में ‘बेल्ट एंड रोड फोरम’ का भी आयोजन किया था जिसका भारत ने बहिष्कार किया था। हालांकि भारत बांग्लादेश, चीन, भारत और म्यांमार आर्थिक गलियारे (बीसीआईएम) का हिस्सा है जो बीआरआई का ही हिस्सा है। इस पहल के दायरे के बारे में बताते हुए चिनफिंग ने कहा कि आने वाले सालों में वह विकासशील देशों के लिए चीन में ही 40,000 प्रशिक्षण अवसरों को जन्म देगा।उन्होंने कहा कि चार साल पहले उन्होंने रेशम मार्ग आर्थिक गलियारे और 21वीं सदी के समुद्री रेशम मार्ग के विचार को आगे किया था। इस पहल को अंतरराष्ट्रीय समुदाय से अच्छी प्रतिक्रिया मिली है।
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