बाबा ही दुराचारी नहीं, कई जनप्रतिनिधियों पर भी हैं गंभीर आरोप
आसाराम बापू के बाद बलात्कारी बाबा के नाम से कुख्यात हुए राम रहीम के काले कारनामे उजागर होने के बाद देश में एक बार फिर महिला अस्मिता और सम्मान की बात जोर शोर से उठने लगी है। विशेषकर महिलाओं की इज्जत से खिलवाड़ के खिलाफ भारी आक्रोश के स्वर सर्वत्र सुनाई देने लगे हैं। राजनीतिक दलों की कथनी और करनी से भी पर्दा उठने लगा है। महिलाओं के उत्पीड़नकर्ताओं के मन में सजा का भय ही नहीं है। यही वजह है कि बलात्कार और यौन उत्पीड़न के मामलों में वृद्धि हो रही है। महिलाओं के विरुद्ध बढ़ती हिंसा की रोकथाम के लिये उठाये गए कदम कोई खास असर दिखाते नजर नहीं आ रहे हैं। भारत में आए दिन महिलाएं हिंसा और अत्याचारों का शिकार हो रही हैं। घर से लेकर सड़क तक कहीं भी महिलाएं सुरक्षित नहीं हैं। महिलाओं के साथ अत्याचार, शारीरिक शोषण और घरेलू हिंसा के मामले सामने आते हैं लेकिन शारीरिक शोषण के मामलों का ग्राफ काफी ऊपर है। यौन अपराधों पर सख्त कानूनों के बावजूद भी जमीनी स्तर पर कोई सुधार नहीं हुआ है। देश में यौन हिंसा के लगातार सामने आ रहे मामलों की वजह से महिलाओं के प्रति समाज के नजरिये पर फिर चर्चा शुरू हो गई है। पिछले कुछ अर्से में महिलाओं के साथ होने वाले बलात्कार, छेड़छाड़ और शोषण जैसे अपराधों में तेजी आई है। छोटे शहरों से लेकर बड़े शहरों में दर्ज होने वाले हाईप्रोफाइल मामले इसी का सबूत हैं। ऐसा लगता है निर्भया से लेकर चंडीगढ़ तक के सफर में कहीं सुधार के लक्षण परिलक्षित नहीं हो रहे हैं।
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