पीरियड सेंस है भाग मिल्खा भाग में
मुबंई। राकेश ओमप्रकाश मेहरा ने अपनी फिल्म में रीक्रिएट किए वे स्थान जहां 1947 से 1963 तक गुजरे थे मिल्खा सिंह की जिंदगी के अहम् वर्ष। भाग मिल्खा भाग के रीक्रिएशन की जानकारी फिल्म के निर्देशक राकेश ओमप्रकाश मेहरा के शब्दों में..
भाग मिल्खा भाग एक पीरियड फिल्म है। पूरी तरह रिसर्च कर इसे तैयार किया गया है। कई चीजें हमें ब्रिटिश काउंसिल से मिलीं। इंडिया के बारे में उनके रिकॉर्ड्स काफी अछे हैं। फिल्म्स डिवीजन से काफी कुछ मिला। गांधी फाउंडेशन से काफी कुछ लिया। आर्मी से जानकारी मिली। मिल्खा सिंह जब आर्मी में थे, उस समय उनकी ड्रेसिंग से लेकर बाकी चीजों के बारे में जानकारी ली।
पीरियड रिक्रिएट करने के लिए हमने रियल लोकेशन पर शूटिंग कीं। मसलन, मिल्खा सिंह का बचपन फिरोजपुर में शूट किया। फिरोजपुर, हुसैनीवाला बॉर्डर पर भी हमने शूट किया है। जिस गांव में हमने शूट किया, वहां एक नदी थी, जो पाकिस्तान जाती थी, फिर इंडिया आती थी और फिर घूमकर चली जाती थी। उस गांव में अभी तक मिट्टी से कचे घर ही बनते हैं। वहां मिट्टी के घर मिल गए। ग्रामीणों को लगता है कि पता नहीं कब जंग हो फिर कहीं और जाना पड़े। अब भी वहां पांचवें व छठे दशक की खुशबू आती है।
हम ऐसी-ऐसी जगह गए, जहां बिजली तक नहीं थी। बड़ा मजा आया। 250 लोगों का क्रू था। कोई किसी गांव वाले के घर रहा। कोई पटवारी के यहां।
पंचायत भवन में रहे। कुछ बीएसएफ वालों ने अपने बैरक दिए। इस तरह हमने शूटिंग पूरी की। अछी बात यह रही कि किसी ने कोई शिकायत नहीं की। किसी ने एहसास नहीं होने दिया कि शूटिंग के दौरान कोई तकलीफ हो रही है।
फिर वहां से हम आए पटियाला। अभी सारे ट्रैक सिंथेटिक हो गए हैं। पटियाला में हमें पुराना ट्रैक मिल गया। फिर राजस्थान रायफल्स आए हम। वहां भी हमें उसी जमाने जैसा स्वरूप मिल गया। उस जमाने के प्रतीत होने वाले स्टेडियम हमें कहीं नहीं मिले। ये हमें बनाने पड़े। पाकिस्तान में जाकर शूट करने की जरूरत नहीं पड़ी, क्योंकि स्टेडियम के भीतर का ही मामला था तो हमने रीक्रिएट कर लिया।
एक और जगह हमें मिली हरियाणा में रेवाड़ी। रेवाड़ी जंक्शन हुआ करता था अंग्रेजों के जमाने में। वहां स्टीम लोकोमोटिव का शेड था। हमें स्टीम इंजन की जरूरत थी। हम इंजन देखने गए तो वहां हमें अंग्रेजों के जमाने की एक कॉलोनी मिल गई, जस-की-तस। उसे भूतिया कॉलोनी भी कह सकते हैं। तीन हजार मजदूरों के रहने की जगह वहां बनाई गई थी। वहां पर हमने शाहदरा को रीक्रिएट किया। यमुना नदी रीक्रिएट की, क्योंकि असल यमुना का तो स्वरूप ही बदल चुका है। शाहदरा के पुल का हमने इस्तेमाल किया। वहां हमने मिल्खा की जवानी का हिस्सा शूट कर लिया।
एथलीट हमने पूरी दुनिया से बुलाए। हमने पूरी रिसर्च करते हुए, एथनीसिटी का पूरा ख्याल रखा। डॉली अहलूवालिया ने उन्हें ड्रेस अप किया। फिर पार्टिशन के स्टीम इंजन तो थे ही, डिब्बों को बना लिया हमने। एक रिसर्च में पता चला कि जब रिफ्यूजी आते थे तो वे दिल्ली के पुराने किले में रहा करते थे। रोज उसमें कुछ 20-25 हजार लोग आया ही करते थे। वहां वॉलंटियर रहे मेजर जसपाल से भी काफी मदद मिली। इस तरह हमने मिल्खा सिंह की जिंदगी को उकेरा अपनी फिल्म में।
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