प्रभावित करती है तनुजा चंद्रा की फिल्म ‘करीब करीब सिंगल’
इस सप्ताह प्रदर्शित फिल्म ‘करीब करीब सिंगल’ की खासियत यह है कि यह ‘तमन्ना’, ‘संघर्ष’ और ‘दुश्मन’ जैसी बेहतरीन फिल्में बना चुकीं तनुजा चंद्रा ने बनाई है। लंबे समय के बाद आई तनुजा की यह फिल्म आम फिल्मों से हट कर है और आपको कुछ नयेपन का अहसास भी कराती है लेकिन क्लाइमैक्स के बारे में दर्शकों को पहले ही पता होना निर्देशकीय खामी भी कही जायेगी। फिल्म में इरफान खान के साथ दक्षिण की लोकप्रिय अभिनेत्री पार्वती हैं। इस साधारण सी प्रेम कहानी की सबसे बड़ी खासियत इसका रियल लोकेशनों पर फिल्मांकन है। दिल्ली, ऋषिकेश और गंगटोक की लोकेशनें दर्शकों को पसंद आएंगी। फिल्म की कहानी जया (पार्वती) और योगी (इरफान खान) के इर्दगिर्द घूमती है। जया के पति की मृत्यु हो चुकी है। कुछ समय बाद वह फिर से शादी कर जिंदगी को दोबारा शुरू करने की बात सोचती है और अपना प्रोफाइल मेट्रिमोनियल वेबसाइट पर डाल देती है। वह चाहती है कि लड़का ऐसा हो जो उसकी भावनाओं को समझे और दूसरों से हट कर हो लेकिन उसे घटिया घटिया तरह के प्रपोजल आते रहते हैं। एक बार उसे योगी का प्रोफाइल दिखता है तो उसे पढ़कर लगता है कि उससे मिलना चाहिए। योगी मनमौजी किस्म का इंसान है जिसके दिल में कुछ भी छिपा हुआ नहीं है। वह जया को अपनी सभी पुरानी प्रेमिकाओं के बारे में भी बता देता है जिसे सुन कर जया हैरान हो जाती है। वह जया को निमंत्रण देता है कि वह उसके साथ चले तो वह अलग अलग शहरों में मौजूद अपनी पूर्व प्रेमिकाओं से उसे मिलवा भी सकता है ताकि वह उसके बारे में और जान सके। जया कुछ सोच कर तैयार हो जाती है। उसके बाद शुरू होता है शहर-शहर जाने का सफर जो कभी हवाई जहाज तो कभी कार तो कभी ट्रेन के साधारण डिब्बों से आपको असली भारत का दीदार भी कराता है। अभिनय के मामले में इरफान खान का जवाब नहीं। वह कमाल के अभिनेता हैं और अपने रोल में इस बार भी फिट रहे हैं। पार्वती ने भी कमाल का काम किया है। इरफान के साथ उनकी जोड़ी जमी भी है। अन्य सभी कलाकारों का काम भी अच्छा रहा। गीत-संगीत ठीकठाक है। फिल्म की आगे बढ़ने की रफ्तार थोड़ी धीमी है जिससे कहीं कहीं बोरियत भी महसूस होती है। वैसे चाहें तो इस फिल्म को एक बार देखा जा सकता है।
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